राजर्षि टंडन चाहते थे हिंदी जन-जन की भाषा बने-प्रोफेसर शुक्ला
टीएन शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में बृहस्पतिवार को भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन के जन्म दिवस पर सरस्वती परिसर स्थित अटल प्रेक्षागृह में राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन स्मृति व्याख्यान माला के 17वें पुष्प का आयोजन किया गया ।
व्याख्यानमाला के मुख्य अतिथि आचार्य त्रिभुवन नाथ शुक्ला , पूर्व अध्यक्ष हिंदी एवं भाषा विज्ञान विभाग, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर ने भारत भारती के आराधक स्थितप्रज्ञ राजर्षि विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि राजर्षि टंडन चाहते थे कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिले और वह जन जन की भाषा बने। वह हिंदी को पूर्ण रूप से स्थापित करना चाहते थे। उनके व्यक्तित्व में दृढ़ता थी जो उनके पत्रों में भी झलकती थे। इस तरह के पत्र उन्होंने गांधी जी एवं जवाहरलाल नेहरु को लिखे थे। प्रोफेसर शुक्ला ने कहा कि टंडन की जैसा बोलते थे वैसा ही लिखते थे। उनकी भाषा में व्यंजना के संदेश साफ परिलक्षित होते थे। आज हम सभी को टंडन जी के आदर्शों को आत्मसात करना चाहिए।
सारस्वत अतिथि अनंत विजय, वरिष्ठ पत्रकार, नई दिल्ली ने कहा कि राजर्षि टंडन दृढ़ निश्चयी थे। टंडन जी का राजनीति में प्रवेश हिंदी प्रेम के कारण हुआ। वह हिंदी को देश की आजादी के पहले आजादी प्राप्त करने का साधन मानते थे।
विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ नरेन्द्र कुमार सिंह गौर ने कहा कि राजर्षि टंडन ने हिंदी की आजीवन सेवा की। हिंदी का उनसे बड़ा कोई समर्थक नहीं था। आज युवा पीढ़ी को टंडन जी के बारे में जानने की आवश्यकता है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा तैयार कराए गए वृत्त चित्र की सराहना की। कहा कि महिलाओं की शिक्षा में मुक्त विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम के नेतृत्व में विश्वविद्यालय मानक पर खरा उतरेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति सत्यकाम ने कहा कि राजर्षि टंडन महिलाओं की शिक्षा के हिमायती थे। यह विश्वविद्यालय उनके आदर्शों पर चलकर अधिक से अधिक महिलाओं को प्रवेश देने के लिए सतत प्रयासरत है। इसके लिए हम गांव गांव तक अपनी पहुंच बना रहे हैं। जिससे राजर्षि के आदर्श को पूरा कर सकें। देश को आगे बढ़ना है तो महिलाओं को शिक्षित करना होगा।
इस अवसर पर कुलपति एवं अन्य अतिथियों द्वारा अटल प्रेक्षागृह में राजर्षि टंडन पर आधारित पुस्तक प्रदर्शनी का शुभारंभ किया गया। इसके साथ ही राजर्षि टंडन के जीवन वृत्तांत पर निर्मित वृत्त चित्र का प्रदर्शन किया गया। जन्म दिवस समारोह में हिंदुस्तानी एकेडमी के सहयोग से ख्यातिलब्ध कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर एक माह तक चली राजर्षि टंडन के जीवन चरित्र से संबंधित निबंध, कविता, लेख, रेखा चित्र तथा पेंटिंग प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पाने वाले विजेताओं नवाज अहमद, मिशिका टंडन, अगम्य मलिक, नेहा गुप्ता, वैष्णवी पटेल, अभिनय कुमार, राम लखन कुशवाहा, प्रमोद द्विवेदी एवं तनु द्विवेदी को प्रमाण पत्र एवं नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा विश्वविद्यालय के शिक्षकों डॉ जी के द्विवेदी, डॉ गौरव संकल्प, डॉ सोहनी देवी, डॉ साधना श्रीवास्तव की पुस्तक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम आचार्य चाणक्य कौटिल्य एवं कोर्ट का वर्णन तथा कहानी संग्रह रास्ते मिलेंगे का विमोचन किया गया।
राजर्षि टंडन जन्म दिवस आयोजन समिति के समन्वयक प्रोफेसर एस कुमार ने प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ देवेश रंजन त्रिपाठी तथा धन्यवाद ज्ञापन कुल सचिव कर्नल विनय कुमार ने किया।
इस अवसर पर राजर्षि टंडन के पौत्रवधू डॉ शशी टंडन, राजर्षि टंडन महिला महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर रंजना त्रिपाठी, गोपाल जी पांडेय, प्रोफेसर आशुतोष गुप्ता, पूनम मिश्रा आदि उपस्थित रहे।
