टीएन शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। रेलवे में एक दुर्घटना होने पर दूसरी दुर्घटना न होने पाये उसको रोकने के लिए ट्रैक पर डेटोनेटर/डेंजर सिगनल लगाया जाता है। डेटोनेटर के ऊपर से जब कोई वाहन गुजरता है, तो तेज धमाके के साथ आवाज करता है जिससे लोको पायलट डेंजर सिगनल की आवाज़ सुनकर आगे खतरे की आशंका होने पर अपनी गाड़ी में आपात-कालीन ब्रेक लगाकर गाड़ी को तुरन्त खड़ा कर लेता है, जिससे होने वाली दुर्घटना बच जाती है । घने कोहरे के समय ब्रांच लाइनों में जहां सिंगल डिस्टेंट सिगनल है वहाँ भी डेटोनेटर का प्रयोग किया जाता है।
वर्ष 2010 से निर्मित पटाखे की उम्र कम से कम 5 वर्ष निर्धारित किया गया है, पांच वर्ष पूरा होने पर प्रत्येक वर्ष टेस्टिंग करके पटाखे की अधिकतम 8 वर्षो तक बढ़ायी जाती है। डेटोनेटर ट्रैन ऑपरेशन से सम्बंधित कर्मचारियों जैसे लोको पायलट, गार्ड, स्टेशन मास्टर, गेट मैन, की-मैन, ट्रैक मैन, इत्यादि कर्मचारियों को जारी किया जाता है। इसी क्रम में आज दिनांक 06 अगस्त को प्रयागराज जंक्शन यार्ड में संरक्षा विभाग की देखरेख में डेटोनेटर/फॉग सिगनल की संयुक्त रूप से टेस्टिंग करायी गयी।
डेटोनेटर टेस्टिंग के दौरान मुख्य संरक्षा सलाहकार चन्द्रिका प्रसाद प्रयागराज मुख्य यार्ड मास्टर, संजीत कुमार, यातायात निरीक्षक, संतोष कुमार त्रिपाठी; रेल पथ निरीक्षक, प्रवीन कुमार, मुख्य लोको निरीक्षक के. के. सिंह एवं निरीक्षक/रेलवे सुरक्षा बल, कुलवीर सिंह भी उपस्थित थे।