टीएन शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। सांस्कृतिक स्त्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र, नई दिल्ली (सीसीआरटी), उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज एवं उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत नाटक “कुशल वीरांगना रानी दुर्गावती” का मंचन आज रविवार को एनसीजेडसीसी के प्रेक्षागृह में किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ० विनोद नारायण इंदुरकर, अध्यक्ष सीसीआरटी, अतुल द्विवेदी, निदेशक, उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, लखनऊ, आशुतोष शर्मा, उप-निदेशक, सीसीआरटी, सुरेन्द्र कश्यप, सहायक निदेशक प्रशासन, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज, अंकुश रस्तोगी, आजादी का अमृत महोत्सव प्रभाग, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, सुगीत, आजादी का अमृत महोत्सव प्रभाग, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर की गयी।
मंच पर रविवार की शाम रानी दुर्गावती के संघर्ष की गाथा को देखकर दर्शक भाव विभोर हो उठे। कलाकारों ने रानी दुर्गावती की राजा अकबर से संघर्ष की कहानी को जीवंत करने का सफल प्रयास किया। नाटक में दिखाया गया कि पति के मृत्यु के बाद रानी दुर्गावती सती होने के बजाय देश की सेवा के लिए स्वयं राजगद्दी संभालती है। राजा अकबर से युद्ध छिड़ जाने पर बहादुरी से उनका सामना करते हुए वीरगति को प्राप्त होती हैं।
यह नाटक महानायिका की 500वी जयंती पर एक श्रद्धांजलि थी
नाटक की परिकल्पना एवं निर्देशन डॉ. विनोद नारायण इंदुरकर, अध्यक्ष सीसीआरटी, निर्माण प्रमुख- राजीव कुमार, निदेशक सीसीआरटी एवं लेखक जलेशा सिदार्थ सीसीआरटी की अध्येता हैं। डॉ. विनोद नारायण इंदुरकर ने कहा कि, “हम इस नाट्य प्रस्तुति को रानी दुर्गावती को भावभीनी श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत करते हुए गौरवान्वित हैं। यह नाटक उनकी अदम्य भावना का प्रमाण है और उनकी स्थायी विरासत की याद दिलाता है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता है।” यह कार्यक्रम भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इतिहास का उत्सव होगा, जिसमें रानी दुर्गावती की उल्लेखनीय यात्रा और राष्ट्र के लिए उनके अतुल्य योगदान को प्रदर्शित किया जाएगा। यह कहानी महान वीरांगना रानी दुर्गावती की है। वे 16वीं शताब्दी की गोंड साम्राज्य की उल्लेखनीय योद्धा रानी थी। रानी दुर्गावती ने बड़े साहस और कुशल नेतृत्व से मुगल साम्राज्य की ताकत का सामना किया। उन्होंने अपने समय की कई अन्य वीरांगनाओं की तरह दुश्मन के हाथों में पड़ने की बजाय मौत को गले लगाना स्वीकार किया इसलिए इतिहास के पन्नों में उनका नाम शुमार हो गया।
इस कार्यक्रम में डॉ० विनोद नारायण इंदुरकर, अध्यक्ष सीसीआरटी, अतुल द्विवेदी, निदेशक, उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान, लखनऊ, आशुतोष शर्मा, उप-निदेशक, सीसीआरटी, सुरेन्द्र कश्यप, सहायक निदेशक प्रशासन, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज, अंकुश रस्तोगी, आजादी का अमृत महोत्सव प्रभाग, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, सुगीत, आजादी का अमृत महोत्सव प्रभाग, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की गरिमामयी उपस्थिति रही एवं अध्यक्ष सीसीआरटी ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किया। धन्यवाद ज्ञापन केन्द्र के अधिकारी आशीष श्रीवास्तव द्वारा किया गया।