टीएन शर्मा की रिपोर्ट
मुक्त विश्वविद्यालय में रामधारी सिंह दिनकर की कविताओं का हुआ पाठ।
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की जयंती के अवसर पर सोमवार को लोकमान्य तिलक शास्त्रार्थ सभागार में कविता पाठ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि दिनकर जी की कविताओं में भारतीय दर्शन की झलक साफ दिखाई पड़ती है। दिनकर जी ने संस्कृत के चार अध्याय में भारतीय संस्कृति की विस्तृत चर्चा की है। दिनकर जन कवि थे। उन्होंने जनमानस की पीड़ा को बहुत प्रमुखता से अपने काव्य रचना में उद्धृत किया। जिसके कारण जनता ने उन्हें कवि माना। वे श्रीकृष्ण के बहुत बड़े उपासक थे। किसानों, गरीबों और महिलाओं के प्रति उनके मन में बहुत सम्मान का भाव था। जिसका प्रतिबिंब उनकी काव्य रचना में परिलक्षित होता है।
प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि आज हमें युवा पीढ़ी को रामधारी सिंह दिनकर की ओजपूर्ण कविताओं का पाठ पढ़ाना चाहिए। कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम ने कहा कि दिनकर का यह मानना था कि साहित्यकार को विज्ञान पढ़ना चाहिए और वैज्ञानिकों को साहित्य पढ़ना चाहिए जिससे उनके अंदर हर विषय की समझ विकसित हो सके।
कार्यक्रम समन्वयक मानविकी विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर सत्यपाल तिवारी ने कहा कि रामधारी सिंह दिनकर राष्ट्रीयता को काव्य का मूल आधार मानते थे। काव्य के साथ ही गद्य के क्षेत्र में उनका भूतपूर्व योगदान था। एक ओर उनकी कविताओं में ओज, आक्रोश एवं क्रांति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इस अवसर पर रामधारी सिंह दिनकर के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर आधारित वृत्त चित्र का प्रदर्शन किया गया।
जयंती समारोह में कार्यक्रम संयोजक प्रोफेसर रुचि बाजपेई ने रामधारी सिंह दिनकर जी के जीवन वृत्त पर जानकारी प्रदान की। प्रोफेसर बाजपेई ने कहा कि दिनकर जी को उनकी प्रसिद्ध पुस्तक संस्कृत के चार अध्याय के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा उर्वशी के लिए भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया।
इस अवसर पर डॉ स्मिता अग्रवाल, प्रोफेसर छत्रसाल सिंह, डा अतुल कुमार मिश्रा, डॉ शिवेंद्र कुमार सिंह तथा डॉक्टर अब्दुर्रहमान फैसल आदि ने रामधारी सिंह दिनकर की काव्य रचनाओं का सस्वर पाठ किया। अनुपम ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।