टीएन शर्मा की रिपोर्ट
सामुदायिक स्वस्थ केंद्र के समक्ष होगा सत्याग्रह।
प्रयागराज। शासकीय जिला अस्पताल सीधी के निजीकरण के विरोध में जन आंदोलन की रूपरेखा तय करने एवं आवश्यक रणनीति पर चर्चा करने हेतु आज दिनांक 23/9/24 को जिले के आम नागरिकों की एक आवश्यक बैठक संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता उमेश तिवारी द्वारा की गई।
बैठक में अपनी बात रखते हुए उमेश तिवारी ने कहा कि प्रदेश के 10 जिला अस्पताल सहित सीधी जिला अस्पताल एवं मेंडिकल कालेज को निजी हाथों में देकर सरकार ने प्रदेश एवं जिले के जनता के लिए घातक निर्णय लिया है। वही जिले के अस्पतालो को निजीकरण में दिया जा रहा है जो जिले विकाश में पिछड़े है जहाँ कि बहुमत आवादी गरीब है शोषित है बंचित है दलित है आदिवासी है क्योंकि सत्ता के नशे में मदहोस लोग मानते है कि गरीब कमजोर होता है क्या करेगा आदिवासी दलित बंचित कि कोई आवाज़ नहीं है वह बोल नहीं सकता। प्रदीप सिंह दीपू ने कहा कि जिला अस्पताल जिले के गरीब जनता की उम्मीद है निजीकरण होने से वह उम्मीद समाप्त हो जाएगी।
डॉक्टर शिशिर मिश्रा ने कहा कि बड़ी इच्छा थी की सीधी में मेडिकल कॉलेज खुले लेकिन जब यह जानकारी हुई की मेडिकल कॉलेज के साथ अस्पताल को भी निजी हाथों पर दिया जा रहा है तो पैरों तले से जमीन खिसक गई। मनोज कोल ने कहा कि हम आदिवासी हैं सीधी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है निजी हाथ में अस्पताल सौपाने से आदिवासी सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। हरि कुमार केवट एडवोकेट ने कहा कि लड़ने के बाद ही आजादी हमें मिली है हम अस्पताल के निजीकरण के विरोध में भी लड़ेंगे। देवेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि निजीकरण के विरोध में आंदोलन होना चाहिए हम सब सीधी वासी साथ में हैं। सचिन पांडे ने कहा कि निजीकरण के बजाय सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था दुरुस्त की जाए। विकास नारायण तिवारी ने कहा कि अस्पताल के निजीकरण का सरकार का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है।
राजेंद्र जायसवाल एडवोकेट ने कहा कि अस्पताल के निजीकरण हो जाने से सबसे ज्यादा हरिजन आदिवासी पिछड़ा वर्ग शोषण एवं वंचित लोग स्वास्थ्य की सेवाओं से वंचित होंगे। प्रभात वर्मा ने कहा कि जैसे निजी नर्सिंग होम लूट के अड्डा होते हैं सरकारी अस्पताल के निजीकरण के बाद वहां भी लोग घर जमीन बेचने को मजबूर होंगे। अरुण सिंह सिंगर एडवोकेट ने कहा कि जिला अस्पताल सीधी के निजीकरण के विरोध में सीधी में एक बड़े आंदोलन करने की जरूरत है।
उर्मिला रावत ने कहा कि सरकार सब कुछ निजी हाथों में दे रही है चाहे स्कूल हो रेल हो हवाई हो कोयला हो उसी कड़ी में अस्पताल को निजी हाथों में दे रही है। राम मणि मिश्रा ने कहा कि भारत में निजीकरण नई बात नहीं है इसकी शुरुआत बहुत पहले हो चुकी है जिसके तहत सरकारी उपक्रम निजी हाथों को सौपे जा रहे हैं।
बैठक में “जिला अस्पताल वचावा, जिउ वचावा संघर्ष मोर्चा” का गठन किया गया तथा यह भी निर्णय किया गया कि जिले के समस्त सामुदायिक स्वस्थ केंद्र के समक्ष “जिला अस्पताल वचावा, जिउ वचावा सत्याग्रह” किया जायेगा।
बैठक में उपस्थिति निम्न रही- सुंदर सिंह, गुरु प्रसाद कोल, विजय बहादुर सिंह, प्रवीण कुमार मिश्रा, अमन सिंह चौहान, शिव सिंह चंदेल, अतुल तिवारी, राज चौहान, प्रशांत मिश्रा, वीरेंद्र शुक्ला, नितिन सिंह चौहान, रमेश कुमार बंसल, राम रहीस रावत, संजय कुमार साकेत, राजेंद्र कुमार, दिवाकर बंसल, ललित रावत आदि।