पपीते की पत्ती और बकरी के दूध से नहीं बढ़ती है प्लेट्लेस , ड्रैगन फ्रूट भी एक मिथक।

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टीएन शर्मा की रिपोर्ट

प्रयागराज। समाज में कुछ लोग डॉक्टर से न मिलकर खुद से दवा करने लगते हैं और अपनी जिंदगी को खतरे में डाल देते हैं। ऐसा अक्सर देखने को मिलता है जब किसी मरीज का प्लेट्लेस कम हो जाता है। लोग भयभीत हो जाते हैं और खास तौर पर डेंगू होने पर प्लेट्लेस ज्यादा तेजी से गिरता है। परिवार वाले मरीज को पिलाने के लिए बकरी का दूध खोजते हैं और पपीते की पत्ती का रस पिलाते हैं, मंहगा ड्रैगन फ्रूट खरीदते हैं। जबकि बकरी का दूध तो एक बार अन्य जानवर के दूध की तरह होता है पपीते का पत्ती पीने से तो मरीज की हालात और ख़राब होती है।

उपर्युक्त मिथक से पर्दा आज उठाया डॉ संजीव यादव ने

डॉ संजीव यादव ने डेंगू पर जानकारी देने के लिए एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया और बताया कि डेंगू एडीज मच्छर के काटने से होता है, यह मच्छर दिन में काटते हैं, डेंगू एक वाइरल बुखार की तरह से है जायदा परेशान होने कि जरूरत नहीं होती है, 85 फ़ीसदी लोग घर पर ठीक हो जाते हैं। डॉ संजीव यादव ने चार प्रकार के डेंगू का जिक्र किया जिसमें हैमरहैगिक डेंगू में ज्यादा ब्लड आता है और मरीज को आईसीयू में रखना होता है।


डॉ संजीव के अनुसार जब प्लेट्लेस बीस हजार से नीचे जाता है तब ही प्लेट्लेस देने के बारे में डॉक्टर सोचते हैं। डॉ यादव ने बताया कि डेंगू की सामान्य स्थित में तीन चार दिन में प्लेट्लेस अपने आप बढ़ने लगता है और मरीज को लगता है बकरी का दूध और पपीते का पत्ता या ड्रैगन फ्रूट काम कर गया , जब की यह मिथ्या है कोई काम नहीं करता है, बल्कि और बीमार कर देता है।


डॉ संजीव यादव ने एक सवाल के जवाब में कहा कि बचाव डेंगू का सबसे अच्छा उपाय है, डेंगू का मच्छर साफ़ पानी में पैदा होता है, मच्छर से बचे और अगर डेंगू का लक्षण आ जाता है और जाँच में भी आता है कि डेंगू है तो पैनिक न हों यह आसानी से ठीक हो जाता है , लेकिन लापरवाही और देशी नुख्सों से बचे।


प्रेस वार्ता को डॉ संजीव यादव और डॉ सुजीत सिंह ने सम्बोधित किया और चेस्ट रोग विशेषज्ञ आशुतोष गुप्ता, पीआरओ डॉ अनूप चौहान, डॉ अनुभा श्रीवास्तव आदि मौजूद थे।

AT Samachar
Author: AT Samachar

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