सीधी, एमपी। “जिला अस्पताल बचावा, जिउ बचावा संघर्ष मोर्चा” द्वारा आज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चुरहट के सामने अस्पताल बचावा जिउ बचाव सत्याग्रह! का आयोजन किया गया। सत्याग्रह में क्षेत्रीय ग्रामीणो उपस्थिति रही।
अस्पताल बचावा जिउ बचाव सत्याग्रह! में आए ग्रामीणों के समक्ष अपनी बात रखते हुए टोंको-रोंको-ठोंको क्रन्तिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने कहा कि मोदी और मोहन सरकार से हमारा प्रश्न है कि आपके अगुआई कि सरकार अगर अस्पताल, स्कूल को बेहतर नहीं कर सकती, सरकार अपनी मशीनरी में सुधार नही कर सकती सब कुछ प्राइवेट (निजी) पूंजी पर ही निर्भर है तो फिर सरकार का गठन किसके लिए? और इतने महंगे चुनाव और चुने नुमाइंदे (सांसद, विधायक) किस काम के? सरकारी खजाने से बाँटे गए खैरात कि ढ़ोल पीटकर कथित जनता के नुमाइंदे जिता लेना, सरकार का गठन कर लेना ही आपका मकसद है? 75 साल कि आजादी में लोगों को चिकित्सा और शिक्षा के लिये अन्यत्र भटकना चुनी गईं सरकारों के लिए शर्मनाक है।
ग्रामीण क्षेत्रो की तो और भी दुर्दशा है
वर्ष 2006 में पंचायती राज मंत्रालय द्वारा सीधी को देश के सबसे अधिक पिछड़े 250 जिलों की सूची में शामिल किया गया था और सीधी प्रदेश के उन 24 जिलों में शामिल है जिसे केंद्र सरकार द्वारा पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत अनुदान मिल रहा है। यहाँ की लगभग 36.35% आबादी अनुसूचित जाती और अनुसूचित जनजाति की है, और इन सभी के लिए जिला अस्पताल ही स्वास्थ्य सेवाएँ पाने का एक मात्र सहारा है।
अपनी बात रखते हुए कामरेड बद्री मिश्रा ने कहा कि निजीकरण की शुरुआत 1970 से शुरू हो गई थी 1990 में वैश्वीकरण, उदारीकरण और निजीकरण का कानून ही बना दिया गया मौजूदा सरकार सब कुछ बेचने पर उतारू है। अपनी बात रखते हुए राममणि मिश्रा ने कहा कि निजीकरण के खिलाफ लड़ाई बड़ी है आमजन को बड़ी ताकत से लड़ना पड़ेगा लड़ाई के बाद ही बैंक का, कोयले का, हवाई का राष्ट्रीयकरण किया गया था। अपनी बात रखते हुए उर्मिला रावत ने कहा कि निजीकरण होने से बेड का चार्ज, डिलीवरी का चार्ज, एवं दवा सभी का चार्ज लगेगा जिससे गरीब को दवाई करना कठिन हो जाएगा। अपनी बात रखते हुए मनोज कोल ने कहा कि सब कुछ बेचा जा रहा है स्कूल भी बीच गई, सड़क भी बीच गई अब अस्पताल भी बेची जा रही है।
सत्याग्रह धरने का संचालन गुरु प्रसाद कोल नें किया।
सत्यग्रह धरने को इनने भी सबोधित किया- सुन्दर सिंह, प्रभात वर्मा, विनायक पटेल, विकाश नारायण तिवारी, राम रहीश कोल, जायलाल विश्वकर्मा, जगदीश तिवारी, फतेबहादुर सिंह, मानिकलाल साकेत, महेंद्र शेखर साकेत आदि। धरने के बाद राजयपाल के नाम सात सूत्री ज्ञापन पत्र तहसीलदार को सौंपा गया।