त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित 12 दिवसीय दीपावली शिल्प मेला के अंतर्गत सांस्कृतिक संध्या में गुरुवार को कलाकरों द्वारा मनमोहक प्रस्तुतियां देकर दर्शकों का मन मोह लिया।




कार्यक्रम की शुरुआत हरियाणा से आये मैदानी कलाकारों ने नगाड़े की थाप पर रसिया गायन व नृत्य की प्रस्तुति देकर की। इसके बाद बृजभान यादव एवं दल ने लोकगीत “लजाई जाला सूरज देख सुघरईया” व “हमार बलमा जीनगी कईसे बिताई है” को पेश कर श्रोआतों से खूब तालियां बटोरी। उमेश कनौजिया एवं साथी कलाकारों ने “छलकत गगरिया मोर निरमेोहिया, “उगली अंजोरिया न ठहरे”, “उड़त चिड़िया से कहे कौशिल्या दे मईया हो तनि देखले अइहा” गीत पर पूर्वी नृत्य तथा “गवइन के लागल बा अगहन के मेला खेतवे भइल भगवान” गीत पर कटुनी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति देकर दर्शकों को खूब झुमाया। वरूण कुमार एवं दल ने “कजरिया में कइले खेले जइबू सावन काजरी” ,हमरी बलम जी से ऐसी बिगाडी” तथा “मैया चलो दियाना बारे हमारे अंगना ” की प्रस्तुति दी।




इसी कड़ी में महोबा से आए अखिलेश यादव व साथी कलाकारों ने ढोलक व तासे की तान पर वीर रस से भरे दिवारी पाई-डंडा नृत्य के माध्यम से लट्ठ कला को शानदार तरीके से प्रस्तुति दी। इस नृत्य के दौरान कलाकारों के कमर मे लटकती घूंघरु व झालर दर्शकों का ध्यान खींच रहे थे। हर कोई इसका साक्षी बनना चाहा। कार्यक्रम का संचालन रेनूराज सिंह ने किया।
