त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। साहित्य जब फैलता है तो आंचल में जमाने को समेट लेता है। जिंदगी सुख और दुख के दो किनारों को छूती हुई संवेदना त्रिवेणी में नहाने लगती है। काव्यसाधकों ने यथार्थ की खुरदुरी जमीन पर सरकती जिंदगी को दुलारा, वहीं राजनीतिक विद्रूपीकरण को आइना भी दिखाया। मंच पर कवियों का मनहर समागम हुआ तो साहित्य के तमाम रस छलकते गए। हास्य बोध ऐसा कि आंसुओं के साथ ठहाके निकले।
रचनाओं की धारा में मिलन का मर्म और जुदाई का गम तैरता रहा
शुक्रवार को प्रयाग की भूमि काव्यधारा की रिमझिम में देर रात तक नहाई। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा दीपावली शिल्प मेले के तहत आयोजित कवि सम्मेलन में साहित्य के दीये खूब जगमगाए। अशोक बेसरम ने मंच संभाला तो गीत, गजल और मुक्तक की लड़ियां रोशन हो उठीं उन्होंने अपनी रचना भीख मांगे जो अदाकारी से..पेश कर श्रोताओं में उल्लास की लहर का संचार किया।
सुल्तानपुर से आयी युवा कवयित्री पल्लवी मिश्रा ने पढ़ा नहीं है चार ऋतुओं का कहीं परिवेश दुनिया में जहाँ अवशेष भारत के हैं… बाराबंकी के शिवम मिश्रा ने मरकर अमर कहानी वही बनता है सच मे जो मां भारती से प्यार करता है। बरेली से आए कमलाकांत तिवारी ने तुम्हें अपने अदाओं पर मिला सम्मान भारी है…. प्रयागराज की रेनू मिश्रा ने पढ़ा दर्द से भरता है ह्रदय मेरा देखूं जो आंखों में आंसू तेरी। डॉ. वंदना शुक्ला अपनी रचना लौट आए अवधपुर प्रभू राम जी छाया आनंद उत्सव दीवाली हुई को पढ़कर खूब तालियां बटोरी। जय कृष्ण राय (तुषार) ने गले में क्रास पहने है मगर चंदन लगाती है सियासत भी इलाहबाद में संगम नहाती पेश कर श्रोताओं को खुमार में बहा लिया। रायबरेली से पधारे मधुप श्रीवास्तव “नरकांल” के अभिव्यक्तियों का जादू श्रोताओं के सिर पर चढ़कर बोला उन्होंने अरे,अरे,अरे पाप चढिगे ऊपर को पेश किया।
सांस्कृतिक संध्या में मनमोहक प्रस्तुतियां- मुक्ताकाशी मंच पर कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां देकर खूब वाहवाही पायी। प्रिया त्रिपाठी एवं दल ने मन लागो मेरो यार फकीरी में व परदेसी है बालम हमार बदला ना जाएगा की प्रस्तुति दी। इसके बिरहा गायन एवं पाई डंडा लोकनृत्य की प्रस्तुति हुयी।