भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है क्योंकि यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में होता है
कौशाम्बी। जिले भर में भाई दूज का पर्व धूमधाम से मनाया गया। बहनों ने भाई के माथे पर अक्षत तिलक किया, आरती उतारी, मिठाई खिलाई और दीर्घायु की कामना की। वहीं भाइयों ने बहनों को आकर्षक उपहार प्रदान किए। इस मौके पर बाजार में भी भारी भीड़ रही। भैयादूज पर बहनों ने भाईयों की सुख समृद्धि और मंगलकामना के लिए व्रत रखा। कहीं बहनें अपने भाइयों के घर भाई दूज मनाने के लिए पहुंचीं, तो कहीं भाई अपनी बहनों के घर पहुंचे। इस दौरान सुबह से ही बाजार में भीड़ रही। बहनों ने अपने भाइयों के लिए मिठाई, गोला आदि की खरीदारी की। भाइयों ने अपनी बहनों की पसंद के उपहार खरीदे। बहनों ने अपने भाइयों को रोली, चावल से तिलक किया, आरती उतारी और मिठाई खिलाई। साथ ही भाइयों की सुख, समृद्धि और लंबी उम्र की कामना की। भाइयों ने बहनों को आकर्षक उपहार प्रदान किए तथा रक्षा का संकल्प लिया। ग्रामीण क्षेत्र में भी भैया दूज का पर्व पर बहनों ने अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना कर मनाया। भैया दूज के अवसर पर कस्बे के बाजारों में रौनक रही। काफी संख्या में भाइयों ने एक दिन पहले ही बहनों के घर जाना शुरू कर दिया था। इसके बाद भी बस स्टैंड पर भारी भीड़ नजर आई। बसों में सीट फुल होने पर सवारिया बसों में अंदर खड़े होने के बाद भी काफी संख्या में सवारी बसों का इंतजार करते दिखे। बाजारों में भी खील बताशे नारियल की जमकर खरीदारी हुई।
पंच दिवसीय दीपोत्सव का अंतिम पर्व भाई दूज धूमधाम से मनाया गया
दीपावली के पंच महोत्सव के अंतिम दिन मिठाइयों की दुकानों पर एक बार फिर भीड़ रही। भाइयों के लिए बहनों ने जमकर मिठाई खरीदी। इसके अलावा नारियल गोला और बताशे की दुकानों पर भी खूब भीड़ रही। गोला की मांग कई गुना बढ़ गई। बाजार में बहनों के उपहार के लिए लोगों की साड़ी, रेडीमेड गारमेंट, सराफ आदि की दुकानों से भी काफी खरीदारी की गई। बहनों ने भी भाइयों को तिलक कर उनके दीर्घायु और स्वास्थ्य की कामना की। भाइयों ने भी बहनों की रक्षा का वचन दिया बहनों ने भाइयों को गोला भेंट कर उनके लिए दुआएं मांगी। भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों के लिए विशेष पूजा-अर्चना करती हैं और भाइयों की लंबी आयु की कामना करती हैं। अलग-अलग स्थानों पर भाई दूज मनाने का अलग रिवाज है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए मनाया जाता है और इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना से पूजा करती हैं। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है क्योंकि यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि में होता है। इस त्योहार के पीछे कई धार्मिक कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं, जो इस पर्व को और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं।
भाई दूज से जुड़ी मान्यताएं
भाई दूज से जुड़ी दो कथाएं हैं। पहली कथा, यमराज और यमुना जी से जुड़ी है। हिंदू धर्म में मृत्यु के देवता यमराज की एक बहन हैं, जिनका नाम यमुना है। कहते हैं कि एक बार यमराज जी अपनी बहन यमुना के आग्रह पर उनके घर आए थे। तब यमुना जी ने अपने भाई का आदर सत्कार कर उन्हें तिलक लगाया और भोजन कराया। इसपर यमराज जी बहुत प्रसन्न हुए और यमुना जी वरदान मांगने को कहा। यमुना जी ने सभी भाइयों की लंबी आयु और सुख समृद्धि का वरदान मांगा। तभी से इस दिन बहन अपने भाइयों के लिए पूजन करती हैं और तिलक लगाकर लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं।
एक अन्य कथा के अनुसार, नरकासुर का वध करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए थे। सुभद्रा ने उनका स्वागत करते हुए तिलक लगाया और मिठाई खिलाई। इस परंपरा के चलते भी भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।
मान्यता है कि इस दिन भाई अपनी बहन के घर भोजन करे तो उसे दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए कई घरों में भाई को बहन के हाथ से बना भोजन कराया जाता है।
उपहार का आदान-प्रदान- इस दिन भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं, जो उनकी बहन के प्रति प्यार और देखभाल का प्रतीक है।