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“बिरहा गायन की सुरों में झलकी ग्रामीण संस्कृति की छटा”

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त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट



Prayagraj: उत्तर मध्य क्षेत्र संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से आयोजित पांच दिवसीय बिरहा उत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को मेजा तहसील में कलाकारों ने बिरहा गायन के माध्यम से अपनी लोक कला के प्रति ऐसी लगन लगाई कि श्रोता देर रात तक उनके बिरहा को सुनते रहे। कार्यक्रम की शुरूआत यशोदा नंद एवं दल ने देवी गीत बरसे छवि माई के दुआरिया एवं कवने नगरिया से नेहिया छोड़वे बतावा को बिराहा अंदाजा में प्रस्तुत कर खूब जलवा बिखेरा।

रघुराज सिंह यादव और दल ने करा जिन देरिया माई फेर द नजरिया तथा योगी ब्रह्मा बनके विष्णु त्रिपुरारि दुआरी गुरू द्रोण के गये को पेश किया। इसके बाद जय सिंह ने ललना पुकारे माई ललना पुकारे, केहू के हंसावे त केहू के रोवावे……तथा छठ गीत हाथ जोडि करिला विनितिया, छठि माई होई की प्रस्तुति देकर अपने सुरों से ग्रामीण संस्कृति की छटा को बिखेरा। विनोद कुमार पटेल एवं साथी कलाकारों ने विमल करि केवट गोहरिया हो फिकरिया हमरी। इस अवसर पर काफी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे।

AT Samachar
Author: AT Samachar

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