सहानुभूति की जड़े हमारे शरीर और मस्तिष्क में दबी पड़ी हैं- डॉ.वैशाली जैन।

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त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट

प्रयागराज। सहानुभूति हमारी नैतिकता का मुख्य आधार है। इसके माध्यम से हम दूसरों के दृष्टिकोण, जरूरत और इरादों को समझ सकते है तथा आवश्यकता के अनुसार अपनी उपादेयता सिद्ध कर सकते हैं। यह बातें अंक ज्योतिष मर्मज्ञ एवं मोटिवेशनल लाइफ कोच डॉ. वैशाली जैन ने कही।

वह शनिवार को समदरिया स्कूल में “सहानुभूति और भावनात्मक बुद्धिमत्ता” विषयक कार्यशाला में विचार व्यक्त कर रही थींl डॉक्टर जैन ने कहा कि भावनात्मक सहानुभूति का गुण व्यक्ति की संवेदनाओं का एक ऐसा प्रतिबिंब है जो समाज को गहराई से समझने और जोड़ने में मदद करता है। सहानुभूति की जड़े हमारे शरीर और मस्तिष्क में दबी पड़ी हैं। अभ्यास के जरिए इस कौशल को विकसित किया जा सकता है। उन्होंने छात्रों को आगाह करते हुए स्पष्ट किया कि आप सबको अपनी सोच और भावनाओं को मिलाकर निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना होगा। तभी एक सफल नागरिक बनने की कल्पना पूरी हो सकती है।

निदेशक डॉ. मणि शंकर द्विवेदी ने कहा कि वर्तमान में युवाओं के अंदर भावनात्मक बुद्धिमत्ता का ह्रास हो रहा है जो भविष्य के लिए घातक है। जबकि यह स्वयं और दूसरों के साथ सफल संबंध बनाने और निभाने की महत्वपूर्ण कुंजी है।

कोऑर्डिनेटर अनुपमा सिंह ने अतिथियों का स्वागत कियाl कार्यक्रम का संचालन मोहिनी अग्रहरि तथा आभार ज्ञापन कादंबरी द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर मृणाल जतिन, चेतना त्रिपाठी, संगीता पाल, नेहा भारतीय,अनीता, सचिन कुमार, विनोद यादव, हुमा हैदर, राजेश यादव, धर्मेंद्र के अलावा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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Author: AT Samachar

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