त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
Prayagraj: उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेले के दसवीं सांस्कृतिक संध्या में लोकनृत्यों की धूम रही।
कलाकारों ने अपने अद्वितीय नृत्यकला और हाव-भाव के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंगलवार को मुक्ताकाशी मंच पर दिल्ली के कलाकारों ने संगीत की संगत पर अपने भाव- भंगिमाओं के माध्यम से कथकली नृत्य की प्रस्तुति दी, जिसमें महाभारत के प्रसंगों को जीवंत किया गया। रागिनी चन्द्रा एवं दल ने “जहां गंगा यमुना क निर्मल धार बाते सोने के चिरैया भारत देशवा हमार बा” ,”गंगा मैया जी के दर्शन कर द पिया मेलवा घुमादा पिया ना” तथा पूर्वी गीत “पीटी पीटी के हो केवड़िया सैया जगावे लगलं ना” की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।
रंग-बिरंगे परिधान व घुंघरू की छम-छम से मंच पर विविध लोकनृत्य मेले की सांस्कृतिक संध्या में चार चांद लगा रहे हैं। गंगा देवी एवं साथी कलाकारों ने राजस्थान के भवई नृत्य की प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरी। इसके बाद बाबू लाल हाजरा द्वारा पश्चिम बंगाल का रायबेन्शे नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों में उत्साह का संचार किया। कैलाश सिसोदिया एवं दल ने मध्य प्रदेश का भगोरिया नृत्य की प्रस्तुति दी वही मन्दीप छिब और साथी कलाकारों द्वारा जम्मू के लोकनृत्य की प्रस्तुति की।
मेले में हरियाणा व राजस्थान से आए मैदानी कलाकार लोगों का आकर्षण केंद्र बने हुए हैं। दसवें दिन राष्ट्रीय शिल्प मेला में जमकर भीड़ रही। लोग खरीददारी के साथ राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र के व्यंजनों का स्वाद लिया।