त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
Prayagraj: आज मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से चलकर श्री हनुमान जी के मंदिर के पास स्थित चौराहे तक हम लोग अपने हाथों में मोमबत्ती लेकर पैदल मार्च किए उसके बाद हम सभी मेडिकल कॉलेज गेट पर उस अमानवीयता और बर्बरता के खिलाफ खड़े होने के लिए एकत्र हुए, जो बांग्लादेश में हमारे हिंदू भाइयों और बहनों के साथ हो रही है। यह केवल हिंदू समुदाय पर हमला नहीं है, यह मानवता के मूलभूत सिद्धांतों पर हमला है।
पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ कई दर्दनाक घटनाएं सामने आई हैं
2021 में दुर्गा पूजा के दौरान, हिंसा की एक लहर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था, जिसमें कई हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया और निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।
हाल ही में, 2023 में, हिंदू गांवों पर हमले किए गए, उनके घर जलाए गए, और महिलाओं के साथ अत्याचार हुए।
और अब, इस्कॉन मंदिर पर हमला करके न केवल पूजा स्थल को अपवित्र किया गया, बल्कि वहां के मुख्य पुजारी को भी गिरफ्तार कर लिया गया। यह घटना धर्म की स्वतंत्रता पर एक सीधा हमला है। इतना ही नहीं, मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ा गया, पवित्र ग्रंथों का अपमान किया गया और मासूम बच्चों तक को नहीं बख्शा गया।
बांग्लादेश में हिंदुओं को अपने धर्म का पालन करने से रोका जा रहा है। महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ रही हैं। संपत्तियां लूटी जा रही हैं। पूजा स्थलों को तोड़ने के बाद उन्हें मस्जिदों में तब्दील किया जा रहा है। यह अत्याचार किसी भी सभ्य समाज के लिए अस्वीकार्य है।
भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से यह मांग है कि
- बांग्लादेश सरकार पर दबाव डाला जाए कि वह दोषियों को तुरंत सजा दे और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे।
- इस्कॉन मंदिर के पुजारी की तुरंत रिहाई और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की गारंटी दी जाए।
- संयुक्त राष्ट्र इस मामले को गंभीरता से ले और मानवाधिकार उल्लंघन पर रिपोर्ट तैयार करे।
- भारत को कूटनीतिक माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को संरक्षित किया जाए।
- हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह मुद्दा उठाया जाए ताकि यह आवाज दबने न पाए।
यह मोमबत्ती केवल प्रकाश नहीं है, यह न्याय की उम्मीद है। यह उन पीड़ितों के लिए हमारी सहानुभूति है और एक शांतिपूर्ण भविष्य की हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
आइए, हम सब मिलकर यह संदेश दें कि मानवता के खिलाफ किसी भी प्रकार की बर्बरता अस्वीकार्य है।
डॉ संतोष सिंह, डॉ. रवि प्रताप सिंह, डॉ. गौरव तलवार, डॉ. अनमोल पांडेय, डॉ. शुभम कृष्ण तिवारी, डॉ. सौरभ सिंह, डॉ. अशुतोष आनंद, डॉ. विवेक सिंह, डॉ. यशवंत पांडेय, डॉ. सुयश सिंह, डॉ. अपराजिता पांडेय, डॉ. निशु तिवारी, डॉ. महक झा, डॉ. श्रेया गुप्ता, डॉ. अंजली यादव और लगभग 500 से ज्यादा अन्य चिकित्सकों ने इस आक्रोश एवं विरोध कैंडल मार्च में भाग लिया।