ATरिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्य प्रदेश
आजकल शहरों में जहाँ आम आदमी पर बाजारवाद तथा आधुनिकता का गहरा प्रभाव पड़ा है वहीं बहुत सी मल्टीनेशनल कंपनियाँ इसका फायदा भी खूब उठा रही हैं इसी के चलते सभी को दुषित पानी से बचाने तथा शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के नाम पर पैकिंग वाला पानी विक्रय किया जा रहा है । लेकिन ये प्लास्टिक की बोतल में धड़ल्ले से बेचा जा रहा पानी स्वास्थ्य के लिए कितना और कब तक सुरक्षित है। जी हाँ बहुत ही कम लोगों को ये जानकारी होती है की जो बोतल बंद पानी आप खरीदकर पीते हैं। उस बोतल पर कंपनीयों द्वारा जो एक्सपायरी डेट लिखी जाती है दरअसल वो पानी की एक्सपायरी डेट नहीं होती, बल्कि उस प्लास्टिक की बोतल की होती है जिसमेँ पानी भरकर बेचा जाता है। । पानी तो एक प्राकृतिक तत्व है और कभी स्वयं खराब नहीं होता है , हालाँकि प्लास्टिक की पानी की बोतल समय के साथ खराब हो जाती हैं तथा पानी में घुलने लगती हैं।और पानी में रसायन छोड़ना शुरू कर देती हैं। प्लास्टिक में मौजूद कैमिकल पानी में मिलकर उसका स्वाद और महक बदल देते हैं। इससे पानी की क्वालिटी खराब हो सकती है तथा स्वास्थ पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं। प्लास्टिक की बोतल में मौजूद कैमिकल से इम्यून सिस्टम प्रभावित हो सकता है । तथा गंभीर रोगों का कारण बन सकता है । बेहतर होगा कि आप समय रहते ही इसका उपयोग कर लें।कई लोग ऐसे सिंगल यूज बोतल का इस्तेमाल बाद में भी करते हैं जो कि आपके लिए खतरनाक हो सकता है। एक बात और प्लास्टिक की पानी की पैक बोतल को कभी भी धूप में न रखें क्योंकि धूप में रखने से उसमें से तेजी से कैमिकल निकलने लगते हैं व पानी में मिल जाते हैं। इसलिए लोगों के स्वास्थ के दृष्टिगत कम्पनियाँ द्वारा बोतलों पर मैन्यूफ़ैक्चरिंग डेट से दो वर्ष तक की एक्सपायरी डेट लिखी जाती है। जिससे इनका उपयोग समय सीमा के अंदर करना सुरक्षित है । कुछ कंपनियां पानी की बोतलों पर तारीख के हिसाब से कोड भी डालती हैं। इससे स्टॉक रोटेशन मैनेज करने में सहायता मिलती है। ये कोड पानी के दूषित होने, प्रोडक्ट रिकॉल, और बॉटलिंग की गड़बड़ियों का पता लगाने में भी मदद करते हैं। ध्यान रखें पानी की बोतल पर लिखी एक्सपायरी डेट, पानी के खराब होने के लिए नहीं बल्कि प्लास्टिक की बोतल के खराब होने की होती है।