गंगा पंडाल में शास्त्रीय और लोक कला की अनूठी प्रस्तुति।

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त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट

महाकुंभनगर। महाकुंभ 2025 के सेक्टर 1 में स्थापित गंगा पंडाल आज शास्त्रीय और लोक कला के अद्भुत संगम का गवाह बना। यहां किराने घराने के कलाकार सोनक चक्रवर्ती, पद्मश्री डॉ. आनंदा शंकर जयंत, और बांसुरी वादक राजेन्द्र प्रसन्ना ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

 

कार्यक्रम की शुरुआत किराने घराने के शास्त्रीय गायक सोनक चक्रवर्ती ने की। उस्ताद मशकूर अली खां और उस्ताद मुबारक अली खां के शिष्य चक्रवर्ती ने राग आधारित भजनों के माध्यम से पंडाल में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया। भजन “चलो मन गंगा यमुना तीर” और “जब जानकीनाथ सहाय करें” ने दर्शकों को आत्मिक अनुभव प्रदान किया। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर की छात्रवृत्ति से सम्मानित चक्रवर्ती ने अपनी गायकी के माध्यम से भारतीय शास्त्रीय संगीत की उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया।

 

इसके बाद मंच पर उतरीं पद्मश्री डॉ. आनंदा शंकर जयंत। भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी की प्रख्यात नृत्यांगना ने गणपति तालानम से अपनी प्रस्तुति की शुरुआत की। उनकी नृत्य रचनाएं, जैसे “देवी उपासकम” और “शिवोहम”, दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गईं। डॉ. आनंदा ने अपने प्रदर्शन में भारतीय संस्कृति की गहराई और नृत्य कला की भव्यता को जीवंत कर दिया।

 

कार्यक्रम की अगली कड़ी में बांसुरी वादक राजेन्द्र प्रसन्ना ने राग यमन और बनारसी दादरा में अपनी बांसुरी की मधुर धुन से दर्शकों को कृष्ण-रस में डुबो दिया। उनकी बांसुरी से निकली धुन “श्याम बजाए वन में मुरलिया” और “रास रचाए गोपियन संग” ने पंडाल में मौजूद हर श्रोता को भावविभोर कर दिया। उनके साथ तबला वादक पंडित अभिषेक मिश्रा ने अपनी थाप से प्रस्तुति को और सजीव बना दिया।

 

कार्यक्रम में संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश के कार्यक्रम अधिशासी कमलेश कुमार पाठक तथा संस्कृति विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. सुभाष यादव, संस्कृति मंत्रालय की वरिष्ठ सलाहकार गौरी बसु उपस्थित रहीं।

AT Samachar
Author: AT Samachar

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