इश्क 7 फरवरी को गुलाब की पंखुड़ियों जैसा खिलता है तो 8 फरवरी को ‘इजहार’ की कसौटी पर खुद को परखता है. 9 फरवरी को मुहब्बत में ‘चॉकलेट’ की मिठास घुलती है तो 10 फरवरी को गुदगुदे टेडी से प्यार की गर्माहट का अहसास मिलता है। 11 फरवरी को ‘कसम-ओ-वादों’ का ऐसा दौर शुरू होता है, जो 12 फरवरी को ‘सनम की बांहों’ में जा सिमटता है। वहीं, 13 फरवरी को ‘अधरों’ का कनेक्शन इस तरह जुड़ता है कि 14 फरवरी को ‘इश्क मुकम्मल’ माना जाता है। यकीनन ये सारे अल्फाज-ए-बयां वैलेंटाइंस वीक के लिए हैं, लेकिन कभी सोचा है कि वैलेंटाइन डे तो सिर्फ एक दिन ही होता है। इसमें रोज डे से लेकर किस डे तक का गुलदस्ता कैसे बना? कैसे हफ्ता मुहब्बत वाला आशिकों की गलियों का सबसे बड़ा त्योहार बन गया? यह सवाल कभी आपके दिल-ओ-दिमाग में कभी आया हो तो आज अपनी धड़कनों को संभाल लीजिए, क्योंकि दिल के तार छेड़ने वाले वैलेंटाइन वीक की एक-एक परत हम आज आपके सामने खोलने वाले हैं।
वैलेंटाइन वीक में कब हुई रोज डे की एंट्री?
इश्क की गली में कदम रखना हो तो गुलाब का गेटपास जरूर लगता है। लेकिन कभी सोचा कि वैलेंटाइन डे से इसका कनेक्शन कैसे जुड़ा और पहली बार रोज डे कब मनाया गया? इसके लिए हमने इतिहास के तमाम पन्ने खंगाले, लेकिन यह जानकारी तो नहीं मिली कि रोज डे मनाने की शुरुआत किसने की। हालांकि, इतना जरूर पता चला कि प्राचीन रोम और ग्रीस में गुलाब को प्रेम व सुंदरता की देवी एफ्रोडाइट से जोड़ा जाता था।

दरअसल, रोमन साम्राज्य में गुलाब को शक्ति, गोपनीयता और प्रेम का प्रतीक माना जाता था। वहीं, 269 ईसवी में जब रोम में सम्राट क्लॉडियस ने सैनिकों की शादी पर बैन लगाया तो सेंट वैलेंटाइन प्यार करने वालों की शादी कराकर उनका इश्क मुकम्मल कराने लगे। इस अपराध में जब उन्हें जेल भेज दिया गया तो उन्होंने अपनी प्रेमिका को पत्र के साथ गुलाब भेजा था। इस चिट्ठी में लिखा था तुम्हारे वैलेंटाइन की ओर से… कहते हैं कि बस इसी लम्हे से इश्क करने वालों ने गुलाब को प्रेम का प्रतीक मान लिया, लेकिन मॉडर्न रोज डे मनाने के कल्चर ने 1950-60 के दशक से जोर पकड़ा और वैलेंटाइन वीक की शुरुआत रोज डे से होने लगी।
‘इजहार के दिन’ का कैसे हुआ इकरार?
जैसी कहानी रोज डे की है, वैसा ही किस्सा प्रपोज डे का भी है। वैसे तो यह आज तक कंफर्म नहीं हो पाया है कि 8 फरवरी को इजहार का दिन यानी प्रपोज डे के रूप में क्यों तय कर दिया गया? हालांकि, इतिहास के नजरिए से देखें दुनिया को पहले वर्ल्ड वॉर की दहलीज पर पहुंचाने वाले ऑस्ट्रिया से इसका कनेक्शन माना जाता है। हुआ यूं था कि 8 फरवरी 1477 के दिन ऑस्ट्रिया के आर्चड्यूक मैक्सिमिलियन ने मैरी ऑफ बरगंडी को हीरे की अंगूठी पहनाकर शादी के लिए प्रपोज किया था। बस इसी लम्हे को प्रपोज डे के रूप में दर्ज कर लिया गया और आशिकों ने इसे तहेदिल से अपना भी लिया।
वैलेंटाइन वीक में ऐसे घुली चॉकलेट की मिठास
चॉकलेट डे को 9 फरवरी के दिन ही क्यों मनाया जाता है, यह बात अब तक कोई साबित नहीं कर पाया है। हालांकि, जानकार मानते हैं कि चॉकलेट डे मनाने के लिए 9 फरवरी का दिन इसलिए चुना गया, क्योंकि यह दिन मंथ ऑफ लव के लगभग बीच में आता है। वहीं, तोहफे के रूप में चॉकलेट देने को क्रिश्चियन ट्रेडिशन का हिस्सा अरसे से रहा है, जिसे धीरे-धीरे बाकी दुनिया में भी अपना लिया गया। इसके अलावा कड़वी कॉफी ने जब चॉकलेट की मिठास के रूप में दिल जीतना शुरू किया तो इसे मुहब्बत को बयां करने का नायाब तरीका माना गया। शायद यही वजह है कि चॉकलेट डे को वैलेंटाइन वीक में जगह मिल गई।
टेडी डे की कहानी तो एकदम अलग
टेडी डे की कहानी की बात करें तो उसका इश्क के यूनिवर्स से कोई ताल्लुक नजर नहीं आता है। दरअसल, साल 1092 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति थियोडोर ‘टेडी’ रूसवेल्ट शिकार पर गए थे। वहां उन्होंने एक असहाय भालू को गोली मारने से साफ इनकार कर दिया. रूसवेल्ट के इस कदम की काफी तारीफ की गई। वहीं, एक टॉय शॉप ने पहला टेडी बियर बनाकर रूसवेल्ट को थैंक्यू कहा। बस इसके बाद टेडी डे मनाने की शुरुआत हो गई। हालांकि, टेडी डे का कनेक्शन वैलेंटाइन वीक से कैसे जुड़ा, इसका कोई सबूत नहीं मिला है। जानकारों का कहना है कि रोमांटिक फीलिंग्स की बात हो या इश्क और दोस्ती का इजहार करना हो, टेडी को परफेक्ट गिफ्ट के रूप में देखा जाता है। कहते हैं कि इसी वजह से टेडी डे का कनेक्शन वैलेंटाइन वीक से जुड़ गया।
किस वादे ने वैलेंटाइन वीक से जोड़ा प्रॉमिस डे?
वादों के दिन के रूप में मशहूर प्रॉमिस डे का कनेक्शन वैलेंटाइन डे से कैसे जुड़ा, इसका कोई सबूत तो नहीं है। हालांकि, इसे मनाने का चलन 21वीं सदी में काफी तेजी से बढ़ा और इसे वैलेंटाइंस वीक का हिस्सा बना दिया गया।
दरअसल, 2000 के दशक में पश्चिमी देशों में प्रॉमिस डे मनाने की शुरुआत हुई, जो सोशल मीडिया और ग्लोबलाइजेशन की मदद से पूरी दुनिया पर छा गया। अब आलम यह है कि हर कोई इस दिन मुहब्बत के ऐसे-ऐसे वादे करने लगता है कि शाहजहां भी शरमा जाएं।
हग डे को वैलेंटाइन वीक ने यूं लगाया गले
रोज डे से लेकर प्रॉमिस डे की तरह हग डे का कनेक्शन वैलेंटाइन डे से कैसे जुड़ा, इतिहास में इसका कोई जिक्र नहीं है। आमतौर पर मानें तो हग डे का मकसद फिजिकल टच के माध्यम से अहसासों को बयां करना और लोगों व समाज पर इसका पॉजिटिव असर डालना रहा। यूं कह लीजिए कि हग डे की शुरुआत भले ही किसी भी तरह हुई हो, लेकिन इसका मकसद मुहब्बत की तासीर को बढ़ाना रहा है।
वैलेंटाइन वीक में रूमानियत ले आया किस डे
‘भीगे होंठ तेरे से’ लेकर ‘लबों को लबों पे सजाओ’ का जिक्र हो तो तसव्वुर ‘किस’ से ही होता है। कभी आम समाज में नेगेटिविटी का शिकार रहा किस कब करवट लेकर वैलेंटाइंस वीक का हिस्सा बना, यह तो इतिहास भी नहीं बता पाएगा। यूं कह लीजिए कि इश्क को रोमांटिक अंदाज में बयां करने के लिए किस डे का कनेक्शन वैलेंटाइन डे से जोड़ा और इसका वक्त भी वैलेंटाइन डे से एक दिन पहले यानी 13 फरवरी रखा गया। आमतौर पर किस डे मनाने की परंपरा 19वीं-20वीं सदी में पश्चिमी देशों की पहल से मानी जाती है। यही वजह रही कि क्रिश्चियन कल्चर में वेडिंग रिचुअल्स के दौरान होने वाला किस धीरे-धीरे इश्क की मुहर लगाने का जरिया बन गया।
कैसे बना वैलेंटाइन वीक का गुलदस्ता?
अब हम आते हैं उस सवाल पर, जो खबर की शुरुआत में सामने आया था कि एक दिन के वैलेंटाइन डे में रोज डे, प्रपोज डे, चॉकलेट डे, टेडी डे, प्रॉमिस डे, हग डे और किस डे का गुलदस्ता कैसे बना? दरअसल, वैलेंटाइन डे मनाने की शुरुआत संत वैलेंटाइन की हत्या के बाद 496 ईसवीं में हुई थी। वैसे तो वैलेंटाइन वीक में आने वाले किसी भी दिन से इसका कोई ताल्लुक नहीं रहा, लेकिन हर दिन का कनेक्शन इश्क से इस कदर जोड़ा गया कि वह वैलेंटाइन डे का हिस्सा बनकर वैलेंटाइंस वीक में तब्दील हो गया। इसे बाजार का कमाल कह लीजिए या इश्क की खुमारी, जो मुहब्बत वाले हफ्ते में लव बर्ड्स पर पूरी तरह छाई रहती है।
