त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। कलाग्राम के सांस्कृतिक मंच पर सोमवार को प्रसिद्ध गायक मोहित चौहान ने अपनी सुरीली आवाज़ से श्रद्धालुओं और संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुति में बॉलीवुड और सूफी संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिला, जिससे संगम तट की आध्यात्मिकता और भी गहरी हो गई। उनके तरानों पर दर्शक खूब झूमे।
उन्होंने एक से बढ़कर एक गीत सुनाकर दर्शकों की वाहवाही लूटी
सबसे पहले उन्होंने मशक्कली… गाया। फिर रॉकस्टार फिल्म का साडा हक… एथे रख गाया तो युवा थिरकने लगे। नादान परिंदे… तुसमे ही लागी लगन… गीतों पर मोहित ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद “तू जाने ना” “मासूमियत की बारिशें”, “साडा हक” “फिर से उड़ चला जैसे गीतों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को खूब आनंदित किया। इस दौरान कलाग्राम दर्शकों से खचाखच भरा रहा। मेरी भीगी भीगी सी, पलकों पे रह को अपने रुहानी आवाज में प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी। श्रोताओं की मांग पर उन्होंने पहाड़ी लोक गीतों को पेश कर दर्शको का दिल जीता।
देर रात मोहित चौहान का कार्यक्रम चला और श्रोता झूमते थिरकते रहे। परिसर में बड़ी संख्या में बाहरी लोग भी मोहित चौहान के गानों को सुनने पहुंचे थे। अगली प्रस्तुति आमद डांस सेंटर की संस्थापक एवं कथक उस्ताद रानी खानम ने अपने नृत्य में मनमोहक लय और सुंदर हाव-भाव से दर्शकों को एक अविस्मरणीय शाम का आनंद दिया। अपने सीनियर डांस ग्रुप के साथ बेहतरीन प्रदर्शन के साथ रानी खानम ने अपने एकल प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया । उन्होंने भाव और गति पर अपने उत्कृष्ट नियंत्रण का नमूना पेश किया। उन्होंने तकनीकी प्रतिभा और कलात्मक नवीनता को एक साथ लाकर कथक की गहराई और सुंदरता को सहजता से दर्शकों से समक्ष प्रस्तुत किया।
इसके बाद बांसुरी वादक अजय प्रसन्ना ने बांसुरी पर सुरीली तान छेड़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। अगली प्रस्तुति सुष्मिता दास ने दी। वही लोकनृत्यों में असम के कलाकारों द्वारा ढोल, कुन्डी, थाली, तासा जैसे वाद्ययंत्रों के साथ होली गेर नृत्य की प्रस्तुति दी, हरियाणा के लोकनृत्य, उत्तराखंड का गढ़वाल नृत्य, कर्नाटक का ढोलू कुनिथा नृत्य, तेलंगाना का चिन्धु यक्षगान, और असम का मुखा भाऊना नृत्य शामिल रहा।
