मुक़द्दस रमज़ान के छै रोज़े और पहले जुमा पर मस्जिदों के इमामों ने बताए रमज़ान में रखे जाने वाले रोज़े रखने के फायदे।

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सरफराज खान की खास रिपोर्ट

प्रयागराज। इस्लामी कैलेंडर के नवें महीने रमज़ान का साल के बाराह महीनों में वहीं महत्व है जो आसमान में चौदहवीं के चांद का होता है। रमज़ान शब्द का अर्थ है जलाने वाला।यह पाक महीना हमारे गुनाहों को जला देता है। क़ुरआन मजीद में अल्लाह का फरमान है कि ऐ ईमान वालो तुम पर रोज़ा फर्ज़ (प्रतिबद्ध)किया गया है ताकि तुम परहेज़गार बनो रोज़े की हालत में सूर्योदय के पहले से सूर्यास्त तक खाने पीने और अपने नफ्स पर काबू रखना होता है।

उक्त बातें माहे रमज़ान के पहले जुमा पर करैली मस्जिद ए खदीजा में मौलाना सैय्यद रज़ी हैदर ने अपने खुतबे में कहीं।कहा रोज़ा केवल भूख प्यास पे काबू रखना नहीं होता। इसका मर्म अपनी इंद्रियों को वश में रखकर खुदा की इबादत और ग़रीब ग़ुरबा की भूख प्यास का ऐहसास करना है। मौलाना व इमाम ए जुमा शिया जामा मस्जिद चक ज़ीरो रोड ने बाद नमाज़ ए जुमा अपने खुतबे में नमाज़ीयों को सम्बोधित करते हुए कहा कि रमज़ान को अल्लाह ने अपना महीना कहा है। रोज़ादार अल्लाह का मेहमान होता है। इस महिने में अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अपने नेक अमल बन्दों के लिए जन्नत का दरवाज़ा खोल देता है तो जहन्नुम का दरवाज़ा बन्द कर दिया जाता है। एक नेकी के बदले सत्तर गुना सवाब मिलता है‌।

मौलाना जव्वादुल हैदर जव्वादी ने बताया कि इस पाक महिने में चारों आसमानी किताबें जुबूर, तौरैत, इंजील और क़ुरआन अपने बन्दों की खातिर इसी माहे रमज़ान में नाज़िल हुईं। उम्मुल बनीन सोसायटी के महासचिव सैय्यद मोहम्मद अस्करी के अनुसार माहे रमज़ान में अल्लाह अपने बन्दों के हलाल रिज़्क़ में इतनी बरकत अता करता है कि वह जो चीज़ें पूरे साल नहीं खा सकता वह सब माहे रमज़ान के रोज़े में उसे खाने को बा आसानी नसीब हो जाती हैं।

कोविड के बाद से रमज़ान की इफ्तारी में हुआ बदलाव

समाजसेवी सैय्यद मोहम्मद अस्करी ने बताया कि कोविड में लोग बोहोत सावधानियां बरत्ते थें। वहीं मसाले दार चीज़ों व साफ सफाई व पैकिंग किए सामानों का ही इस्तेमाल किया जाता था। यही वजहा है कि अब लोग उसके आदी हो गए हैं।घरों में तो रोज़ादारों के लिए महिलाएं इफ्तार तय्यार कर लेति हैं वहीं मस्जिदों में रोज़ादारों के लिए रेडीमेड ने मार्केट बना ली है। ब्लेसिंग नाम से मुहर्रम में तबर्रुक त्यार करने वाले कैटरर्स मिर्ज़ा अज़ादार हुसैन, दरीयाबाद के शबी हैदर, रानी मण्डी के पप्पू भाई, लखनऊ का कुड़ुक चिकेन सहित लगभग दो दर्जन ऐसे कैटरर्स हैं जो नांद किया, बोटी कबाब रुमाली रोटी क़ुलचा, मटन व चिकन बिरयानी, चिकन व मटन कोरमा के साथ तन्दूरी रोटी का पैकिंग के साथ आर्डर पर मस्जिदों में रोज़ादारों को पहुंचा रहे हैं।

AT Samachar
Author: AT Samachar

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