नीं ट्रांसप्लांट के लिए मरीज को घबराना नहीं चाहिए,रूटीन प्रोसिजर और कॉमन सर्जरी है ये- डॉक्टर पांडेय
त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। प्रयागराज में अब घुटनों का प्रत्यारोपण और आसान हो गया है।ये रूटीन प्रोसिजर है और कॉमन सर्जरी होती है।बस इसके लिए मरीज को घबराना नहीं चाहिए ,बस इसके लिए उन्हें भय और भ्रांतियों से बाहर निकलने की जरूरत है। ये उद्गार हैं मोहक अस्पताल के वरिष्ठ आर्थो एवं जोड़ प्रत्यारोपण सर्जन डॉक्टर संजीव पांडे के जो शुक्रवार को इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के सभागार में मीडिया कर्मियों से रूबरू हो रहे थे। ए एम ए सी सी के सभागार में ए एम ए उपाध्यक्ष डॉक्टर ज्योति भूषण की अध्यक्षता में हुई प्रेस वार्ता के दौरान गठिया एवं घुटने के प्रत्यारोपण के संबंध में जानकारी देते हुवे डॉ संजीव पाण्डेय ने बताया कि वर्तमान में बढ़ती स्वास्थ सुविधाओं और पोषण के चलते व्यक्ति की औसत आयु के साथ ही अधिक उम्र में होने वाली बीमारियों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है।इनमें से घुटने का गठिया एक है। इससे व्यक्ति को घबराना नहीं चाहिए और समय रहते इलाज कराकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि विशेष तौर पर जो ग्रेड 4 का गठिया होता है उसमें जोड़ खराब होने के साथ ही पैर घुटने से झुक जाते हैं और व्यक्ति के खड़े होने पर काफी तकलीफ होती है इसके फलस्वरूप उसका चलना फिरना बंद हो जाता है।जिसके चलते व्यक्ति अपंगता की ओर बढ़ने लगता है।यहीं नहीं लंबे समय तक न चल पाने की वजह से उसे मोटापा,शुगर,बीपी जैसी समस्याऑ का सामना अलग से करना पड़ता है। इन परिस्थितियों से बाहर निकलने के लिए प्रयागराज में भी इसका उपचार उपलब्ध है। नवीन तकनीकी उचित सावधानी और बेहतर देखभाल से मरीज चंगा हो जाता है इसके लिए उसको शहर से बाहर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। इन्होंने बताया कि समाज में फैलाए गए भय और भ्रांतियों के कारण लोग घबराते हैं जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है इसका रूटीन प्रोसिजर है और ये कॉमन सर्जरी है और नीं प्लांट के लिए मरीज को बिल्कुल भी नहीं घबराना चाहिए।
डॉक्टर पांडेय ने मीडिया कर्मियों को जानकारी देते हुवे बताया कि समाज में जबरदस्त भ्रांतियां फैली है कि घुटने के प्रत्यारोपण के बाद व्यक्ति नीचे बैठ ही नहीं सकता है,उसका घुटना मुड़ेगा की नहीं, कहीं आपरेशन के बाद बिस्तर तो नहीं पकड़ लेगा या घुटने पे प्रत्यारोपण सफल होगा कि नहीं। उन्होंने कहा समाज में तमाम फैली भ्रांतियों के कारण व्यक्ति घुटने के प्रत्यारोपण से घबराता है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है।
अच्छे इंप्लांट की आयु भी 25 से 30 साल की होती है
घुटना भी 90अंश तक मुड़ने लगता है।यहीं नहीं आपरेशन के अगले ही दिन मरीज को खड़ा कर दिया जाता हे और वो वॉकर के साथ चलना भी शुरू कर देता है। डॉक्टर पांडेय के अनुसार विभिन्न शोध के पश्चात घुटना प्रत्यारोपण एक सफल प्रत्यारोपण में अग्रणी है और इसकी सफलता की दर भी 85से 95 फीसदी है।
इस दौरान सचिव ए एम ए डॉक्टर आशुतोष गुप्ता, वित्त सचिव डॉक्टर सुभाष वर्मा, वैज्ञानिक सचिव डॉक्टर अनुभा श्रीवास्तव, पूर्व अध्यक्षों में डॉक्टर कमल सिंह, डॉक्टर सुबोध जैन और डॉक्टर सुजीत सिंह मौजूद रहे।
