दूरसंचार विभाग और वित्तीय खुफिया इकाई ने साइबर वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए

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ATS रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्य प्रदेश
साइबर अपराधों और वित्तीय धोखाधड़ी में दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में दूरसंचार विभाग (डीओटी) और वित्तीय खुफिया इकाई-भारत ने सूचना साझाकरण और समन्वय बढ़ाने के लिए एक व्यापक समझौता ज्ञापन एमओयू पर हस्ताक्षर किए।इस समझौता ज्ञापन पर दूरसंचार विभाग के उप महानिदेशक (एआई एवं डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट संजीव कुमार शर्मा और एफआईयू-भारत के निदेशक अमित मोहन गोविल ने दूरसंचार सचिव और राजस्व सचिव की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। यह समझौता दूरसंचार विभाग की डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट और देश की शीर्ष वित्तीय खुफिया एजेंसी के बीच सहयोगात्मक खुफिया जानकारी साझा करने के एक नए युग की शुरुआत को दर्शाता है। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. नीरज मित्तल ने विभागों में प्रौद्योगिकी बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ रही है, विभागों ने अपने-अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इसका भरपूर लाभ उठाया है। हालांकि यह एक ज़रूरी पहला कदम है, लेकिन सच्ची प्रगति विभागीय सीमाओं से आगे बढ़कर मौजूदा कमियों को दूर करने में निहित है। एक-दूसरे से सीखकर तालमेल विकसित करना बेहद ज़रूरी है।” डॉ. मित्तल ने आगे कहा, अगले कदम के रूप में हम एक संयुक्त कार्य समूह के गठन पर विचार कर सकते हैं, जिसमें मुखौटा कंपनियों की पहचान करने और गहन, सहयोगात्मक विश्लेषण और पता लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। राजस्व सचिव ने प्रौद्योगिकी संबंधी क्षमता को अधिकतम करने में साझेदारी के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा, “यह एक उत्कृष्ट सहयोग है जहां दोनों पक्ष एक-दूसरे की प्रणालियों को बेहतर बनाने में योगदान करते हैं। इस साझेदारी की प्रौद्योगिकी-संचालित प्रकृति को देखते हुए मुझे विश्वास है कि यह सटीकता और समयबद्धता के मामले में उच्च दक्षता प्रदान करेगी, जिससे हम डेटा का सर्वोत्तम उपयोग कर पाएंगे।” साझेदारी की मुख्य विशेषताएं जैसे वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक डेटा का वास्तविक समय में साझाकरण, जो वित्तीय धोखाधड़ी के साथ उनके संबंध के आधार पर मोबाइल नंबरों को मध्यम, उच्च या बहुत उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत करता है।दूरसंचार विभाग मोबाइल नंबर निरस्तीकरण सूची डेटा को, जिसमें ऐसे डिस्कनेक्शन की तारीख और कारण भी शामिल होगा, स्वचालित आधार पर एफआईयू-आईएनडी के साथ साझा करेगा। एफआईयू-आईएन साइबर धोखाधड़ी और मनी म्यूल गतिविधियों से संबंधित संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट में शामिल खातों से जुड़े मोबाइल नंबर साझा करेगा। दूरसंचार विभाग के डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (डीआईपी) और एफआईयू-आईएनडी के फिननेक्स 2.0 पोर्टल जैसे उन्नत प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों का लाभ उठाकर सूचना के आदान-प्रदान को सुगम बनाया जाएगा। सिस्टम-आधारित एक्सचेंज पोर्टल एजेंसियों के बीच सुरक्षित, वास्तविक समय में डेटा ट्रांसमिशन को सक्षम करेगें।यह रणनीतिक साझेदारी ऐसे महत्वपूर्ण समय में हुई है जब भारत के डिजिटल भुगतान इको-सिस्टम तंत्र में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, जिससे नागरिकों को जटिल धोखाधड़ी वाली योजनाओं से बचाना ज़रूरी हो गया है। इस सहयोग से देश की निम्नलिखित क्षमताओं में वृद्धि होगी।दूरसंचार विभाग की दूरसंचार खुफिया जानकारी को एफआईयू-आईएनडी की वित्तीय खुफिया जानकारी के साथ संयोजित करके अब अधिकारी नागरिकों को वित्तीय नुकसान पहुंचाने से पहले ही धोखाधड़ी वाले मोबाइल कनेक्शनों की पहचान कर सकते हैं और उनके विरुद्ध कार्रवाई कर सकते हैं ।साझा एफआरआई डेटा वित्तीय संस्थाओं को डिजिटल भुगतान लेनदेन के दौरान उच्च जोखिम वाले मोबाइल नंबरों के लिए उन्नत जोखिम जांच लागू करने में सक्षम बनाएगा।यह समझौता ज्ञापन दोनों एजेंसियों को प्रतिक्रियात्मक से सक्रिय धोखाधड़ी का पता लगाने और रोकथाम की ओर बढ़ने में सक्षम बनाता है। दूरसंचार विभाग के चक्षु प्लेटफॉर्म (संचार साथी), वित्तीय संस्थानों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से प्राप्त खुफिया जानकारी सहित विभिन्न स्रोतों से प्राप्त इनपुट का उपयोग करके बहुआयामी विश्लेषण के माध्यम से विकसित एफआरआई संभावित धोखाधड़ी वाले मोबाइल नंबरों के बारे में प्रारंभिक चेतावनी संकेत प्रदान करेगा। यह सहयोग दूरसंचार विभाग के सफल डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म पर आधारित होकर उसे और सुदृढ़ बनाता है, जिसके वर्तमान में 36 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पुलिस, केंद्रीय एलईए, सेबी, एनपीसीआई, एफआईयू-आईएनडी और 650 बैंकों और वित्तीय संस्थानों सहित विभिन्न हितधारक संगठनों के 700 से अधिक उपयोगकर्ता हैं। यह साझेदारी साइबर सुरक्षा के प्रति भारत के व्यापक दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण सफलता है, जो संचार साथी जैसी मौजूदा पहलों का पूरक है, जिसने पहले ही 2.84 करोड़ धोखाधड़ी वाले मोबाइल कनेक्शनों को डिस्कनेक्ट करने में मदद की है। एफआरआई का उपयोग करके बैंक और वित्तीय संस्थाएं 48 लाख लेनदेन रोकने/अस्वीकार करने में सक्षम हुए हैं, जिससे संभावित धोखाधड़ी से 140 करोड़ रुपये की बचत हुई है। यह समझौता ज्ञापन सूचना साझा करने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं के विकास को सुगम बनाएगा, राष्ट्रीय स्तर पर धोखाधड़ी का पता लगाने के विश्लेषण को मजबूत करने के लिए प्रतिक्रिया तंत्र को सक्षम करेगा तथा धोखाधड़ी की रोकथाम में सुधार के लिए वित्तीय संस्थानों को दिशानिर्देश और रेड फ्लैग संकेतक जारी करने में सहायता करेगा। दोनों एजेंसियां ​निरंतर परार्मश जारी रखेंगी ताकि उभरते साइबर खतरों निपटा जा सकें और यह ढांचा भारत की बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था की सुरक्षा में प्रभावी बना रहे है। एफआईयू-आईएनडी एक केंद्रीय राष्ट्रीय एजेंसी है जो संदिग्ध वित्तीय लेनदेन से संबंधित जानकारी को प्राप्त करने, संसाधित करने, विश्लेषण करने और प्रसारित करने तथा धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के विरुद्ध प्रयासों के समन्वय करने के लिए जिम्मेदार है। दूरसंचार विभाग की डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (डीआईयू) एक विशेष प्रकोष्ठ है, जिसे दूरसंचार संसाधनों के दुरुपयोग से होने वाले साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने हेतु व्यापक प्रणाली तैयार करने के लिए स्थापित किया गया है। डीआईयू ने कई एआई और बिग डेटा एनालिटिक्स आधारित प्रौद्यगिकी संबंधी समाधान कार्यान्वित किए है, जैसे एएसटीआर (एक स्वदेशी एआई उपकरण जो अलग-अलग नामों या जाली केवाईसी दस्तावेज़ों के तहत कई सिम कार्डों की पहचान करता है), सीआईओआर (रियल टाइम अंतरराष्ट्रीय स्पूफ्ड कॉल्स पहचान और अवरोधन प्रणाली), संचार साथी पोर्टल तथा मोबाइल ऐप और एफआरआई (वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक)।

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