प्रबुद्ध बाल रंगमंच अभियान के तहत नाटक बेटी का मंचन 28 को सांस्कृतिक केन्द्र में डा.अम्बेडकर ने कहा था दस भाषण सुनने से ज्यादा प्रभावशाली होता है एक नाटक देखना
त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। बहुजन साहित्य, कला और संस्कृति के साथ-साथ बहुजन रंगमंच के संरक्षण, संबर्धन और उसके विकास के साथ उसके पुनर्स्थापत्य की दिशा में काम कर रही प्रयागराज की एकमात्र संस्था, ट्रस्ट प्रबुद्ध फाउंडेशन और उसकी सहयोगी संस्थाओं में देवपाती मेमोरियल ट्रस्ट, डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा), बाबासाहेब शादी डाट काम और डा. अम्बेडकर क्लब द्वारा चलाया जा रहा अतिआवश्यक अभियान जो अब एक आंदोलन बन चुका है। ऐसे लोग जो किसी कारण से रंगमंच तक नहीं पहुँच पाते थे अब नाटक उनके आँगन तक पहुँच रहा है। अब आप लोग अपनी कॉलोनी व अपने गांव में अपने दरवाजे पर एक भव्य नाटक को देखकर आश्चर्यचकित हो सकते हैं और नाटक के जादू में बंधकर हमेशा के लिए नाटकों के दर्शक बन सकते हैं और कुछ लोग संस्था से प्रख्यात कलाकार बनकर सफलता के उच्चतन शिखर पर पहुंच सकते हैं। ऐसे कलाकार बहुजन महापुरुषों के सपनो को साकार करते हुए बहुजन रंगमंच को पुनर्स्थापित कर बहुजन समाज के सांस्कृतिक मार्ग को सशक्त और प्रशस्त कर सकते है।
ज्ञान के प्रतीक राष्ट्रनायक बोधिसत्व बाबासाहेब डा. भीमराव रामजी अम्बेडकर जी के 134 वें जन्मदिन के पावन अवसर पर हाईकोर्ट स्थित डा. अम्बेडकर मूर्ति स्थल पर अयोजित एकदिवसीय समानता के संघर्ष का डा. अम्बेडकर मेला- 2025 में नृत्य, नाटक व गायन की दर्जनों प्रस्तुतियों ने जयंती समारोह की भव्यता में चार चांद लगा दिया था। यमुनापार की दर्जनों गांवों में प्रबुद्ध फाउंडेशन द्वारा संचालित प्रबुद्ध पाठशाला के सात से सत्रह आयु वर्ग के बच्चो के सृजनात्मक, कलात्मक और व्यक्तित्व विकास के लिए प्रबुद्ध बाल रंगमंच अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत प्रत्येक बहुजन बहुल्य बस्ती में दर्जनों नृत्य, नाटक व गायन की तैयारियों के साथ एक ओर जहां उसी गांव में प्रस्तुति दी जाएगी तो दूसरी ओर ग्रासरूट पर रहने वाले बहुजन बाल कलाकारों को सांस्कृतिक केन्द्र का मंच प्रदान कर बहुजन समाज की गैरराजनैतिक जड़ो को मजबूत करने की इस अनूठे पहल और जरूरी आयोजन का साक्षी गांव के लोग बतौर दर्शक बनकर लाभान्वित होंगे तथा बहुजन समाज का सांस्कृतिक मार्ग सशक्त और प्रशस्त बनेगा।
रंग निर्देशक आईपी रामबृज के आंशिक आत्मकथा पर आधारित नाटक बेटी और नागपुर महाराष्ट्र की बहुजन महिला साहित्यकार डा. सुशीला टाकभौरे कृत नाटक जीवन के रंग में खुद आईपी रामबृज एक निर्देशक के साथ अभिनय करते नजर आयेंगे। आईपी रामबृज ने एक प्रश्न के जबाव में बताया कि बहुजन समाज के सेवारत सम्मानित अधिकारी एवं कर्मचारियों की दिव्य उपस्थिति से बहुजन समाज की सांस्कृतिक जड़े सशक्त और प्रशस्त होंगी।
