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गंगा की पावन धारा से सुर- लय-ताल का अद्भुत संगम।

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टीएन शर्मा की रिपोर्ट


प्रयागराज। संगम के तट अरैल घाट पर उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित तीन दिवसीय गंगा दशहरा उत्सव में रविवार को भोजपुरी गायक गोपाल राय के सुरों का जादू छाया रहा।

उपस्थित जनसमूह गोपाल राय को सरों में डूबते- उतराते रहे। हो भी क्यों न सुर सम्राट ने शुरूआती निशा को यागदार जो बना दिया। मईया ज्ञान के डगरिया बुझात नईखे, विनईला निर्मल पानी, जै गंगा महरानी, सब लोग जात बा नहाए चल गंगा तथा बहिहे फिर से होइके चंगा अविरल गंगा निर्मल गंगा को जब उन्होंने अपनी खनकती आवाज में जब इन भजनों के शब्द फूटे तो लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट से समूचा वातावरण गूंज उठा। इसके बाद अवधी लोकगायक धीरज पांडे ने तन के तमूरे में जय सिया राम-राम, जग में सुंदर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम तथा जय हो बजरंग बली- जय हो बजरंग बली और एक से बढ़कर लोकगीत की प्रस्तुति पूरे वातावरण को भक्तिरस में सराबोर कर दिया। इसके बाद लखनऊ से पधारी सिजा रॉय ने कथक नृत्य नाटिका प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि गुरु माता संत करुणामई जी ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया।


संगत कलाकारों में कीबोर्ड पर निहाल चतुर्वेदी, बेंजो पर रंजीत कुमार, ढोलक पर मैन चन्द्र, तबला पर जितेंद्र कुमार एवं एक्टोपैड पर प्रशांत मिश्रा ने साथ दिया।

इस अवसर पर केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा,समस्त अधिकारी, कर्मचारी सहित काफी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।

AT Samachar
Author: AT Samachar

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