त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ,संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित दीपावली शिल्प मेले के तीसरे दिन मुक्ताकाशी मंच शनिवार रात लोक रंग व लोकनृत्यों से सराबोर रहा। शिल्प हाट में लगे दीपावली शिल्प मेले में कलाकारों ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
भजन व बिरहा गायन से श्रोता आनंदित हो उठे
कथक नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियों ने अपने संस्कृति को मंच पर जीवंत किया। कार्यक्रम की शुरूआत कमलेश यादव ने देवी गीत जोहत बानी कबसे डहरियन हो तथा बिरहा से की। इसके बाद मध्य प्रदेश से आयी भजन गायिका अंशिका एवं साथी कलाकारों ने “राम जय राम सिया राम एक बार जो रघुवर की नजरोन का इशारा हो जाए”, “छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाईके”, “नैनों ने थारी कैसा जादू किया रे थारे बिना लागे नहीं म्हारा जिया” तथा “तू माने या न माने दिल दारा” की प्रस्तुति देकर श्रोताओं में समा बांधा। मथुरा से पधारे दीपक शर्मा एवं दल ने “आयो रसिया मोर वन आयौ रसिया” गीत पर ब्रज नृत्य तथा “जुग जुग जीओ गोरी नयन हारी ” पर चरकुला लोकनृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
लखनऊ घराने से आयी कथक नृत्यांगना शिवानी मिश्रा और अन्नया,प्रिंसी व सुनिधि ने शिव वंदना पर जोरदार जुगलबंदी की। राधा-कृष्ण के प्रेम का वर्णन करते हुए कथक नृत्य की प्रस्तुति की। संगत कलाकारों में ढोलक पर गोपाल तिवारी, कीबोर्ड पर अनुपम, आक्टोपैड पर प्रशांत ने साथ दिया। कार्यक्रम का संचालन आभा मधुर ने किया। शिल्प मेले में भारत के कोने-कोने से आए शिल्पियों के हस्तनिर्मित शिल्प लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं।
