कढ़ी-पकौड़ी का परंपरागत भोज छावनी में छकने के साथ ही नागा संन्यासियों ने काशी की राह थाम ली। शुक्रवार अखाड़ोें की औपचारिक विदाई का आखिरी दिन रहा। अधिकांश नागा संन्यासी काशी में होली तक प्रवास करेंगे।
त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
महाकुम्भ नगर। कढ़ी-पकौड़ी का परंपरागत भोज छावनी में छकने के साथ ही नागा संन्यासियों ने काशी की राह थाम ली। शुक्रवार अखाड़ोें की औपचारिक विदाई का आखिरी दिन रहा। अधिकांश नागा संन्यासी काशी में होली तक प्रवास करेंगे। वहीं, अनी अखाड़े के साधु-महात्मा हरिद्वार समेत मथुरा, वृंदावन एवं अयोध्या प्रवास करेंगे। वैष्णव अखाड़े एवं उदासनी पंरपरा के संतों की भी रवानगी आरंभ हो गई है।
पेशवाई के बाद से कुंभनगरी मेंं अखाड़ों की धर्मध्वजा लहराने लगी। पिछले करीब डेढ़ माह से साधुओं के साथ ही हजारों नागा संन्यासी यहां डेरा डाले रहे। वसंत पंचमी को आखिरी अमृत स्नान के बाद शुक्ल पक्ष की नवमी को सभी अखाड़ों में परंपरागत सामूहिक पंगत हुई। श्रीपंचायती महानिर्वाणी, निरंजनी, जूना, आनंद, अटल अखाड़े की पंगत में बेसन की कढ़ी-पकौड़ी का प्रसाद वितरित हुआ।
प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही सभी अपने ईष्ट देव एवं हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए आगे निकल पड़े। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पुरी का कहना है नवनियुक्त अष्टकौशल महंत की अगुवाई में पंगत हुई। अब साधु संतों एवं नागा संन्यासी काशी में महाशिवरात्रि मनाएंगे। बाबा विश्वनाथ के दर्शन पूजन के साथ उनसे होली खेलेंगे। इसके बाद सभी अपने स्थान की ओर रवाना होंगे।
उधर, अनी निर्वाणी, अनी दिगंबर एवं अनी निर्मोही अखाड़े के साधु-संत काशी न जाकर अपने-अपने स्थान को रवाना हो गए। अनी अखाड़ों के संत होली में वृंदावन और मथुरा पहुंचकर कान्हा एवं श्रीजी के साथ होली मनाएंगे। इसी तरह उदासीन अखाड़े और निर्मल अखाड़े में भी अरदास के साथ संतों की रवानगी आरंभ हो गई। निर्मल अखाड़े के अधिकांश प्रमुख संत यहां से रवाना हो चुके।
शिवरात्रि को उतरेगी धर्मध्वजा
अखाड़ों को भले अब काशी की ओर चलने का एलान हो गया हो लेकिन, कुंभनगरी में अभी उनकी धर्म ध्वजा लहराती रहेगी। अखाड़ा पदाधिकारियों के मुताबिक शिवरात्रि को अखाड़े के स्थानीय पदाधिकारी इस धर्मध्वजा को नीचे उतार लेंगे हालांकि नए बने अष्ट कौशल ने शुक्रवार को ही धर्मध्वजा की तनियों (रस्सी) को ढीली करके अखाड़ों के प्रस्थान का औपचारिक एलान कर दिया।
