साइबर क्राइम के बढ़ते मामले,आंकड़ों के अनुसार पिछले चार वर्षों में साइबर अपराधियों ने अट्ठाइस हज़ार करोड़ की धोखाधड़ी की

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AT रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन

भोपा, मध्य प्रदेश। बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ ही साइबर क्राइम के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है।साइबर क्राइम का मतलब सिर्फ किसी को ऑनलाइन आपत्तिजनक बातें बोलना नहीं है बल्कि इससे कहीं और ज्यादा है। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल के मुताबिक, अगस्त 2019 से 31 मार्च 2024 तक कुल 38 लाख 58 हजार 971 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए है।कौन सा ऐसा दिन है जब किसी शहर में साइबर क्राइम की खबर सुनने को नहीं मिलती है। पैटर्न भी हर दिन एक जैसा नहीं।नई डिवाइस, नई टेक्नोलॉजी आई नहीं कि साइबर क्रिमिनल्स भी उसे काउंटर करने में लग जाते हैं। उद्देश्य किसी भी तरह से लोगों से पैसे ऐंठना साइबर अपराधी कभी केवाइसी अपडेट करने के नाम पर, तो कभी आधार कार्ड या बिजली 3 विल जमा करने के नाम पर ओटीपी पूछता है । उसके बाद जैसे ही लोग ओटीपी साइबर ठग को बताते हैं, उनके खाते से रुपए की निकासी हो जाती है। फेसबुक, वाट्सएप, टेलीग्राम, जी मेल के साथ अन्य मीडियम के माध्यम से साइबर ठग ठगी को अंजाम दे रहे हैं।

साइबर क्राइम अब महामारी की तरह फैल गई है

साइबर ठगी की दुनिया में अब डिजिटल अरेस्ट की सबसे ज्यादा चर्चा है, जिसमें ईडी सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों की कार्रवाई का डर दिखाकर लोगों को शिकार बनाया जा रहा है, साइबर ठग कुछ खास ऐप के जरिए ऑफिसर बनकर वीडियो कॉल करते हैं।पीड़ित उन्हें जांच एजेंसी का बड़ा ऑफिसर समझ बैठता है और ठगी का शिकार हो जाता है। वाट्सअप, टेलीग्राम ग्रुप पर जोड़कर वहां ट्रेनिंग व जानकारी देने के बाद उनसे लाखों की ठगी की जा रही है।इसके लिए लोगों को चिन्हित कर उन्हें अचानक ही ग्रुप में जोड़ा जा रहा है और निवेश, रिव्यू आदि के नाम पर ठगी की जा रही है। इस तरह की ठगी में नाइजीरियन के अलावा कई गैंग सक्रिय है, स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट स्कैम भी हो रहा है। साइबर अपराधी न्यूड वीडियो कॉल कर लोगों को सेक्स्टार्शन का शिकार बना रहे हैं। इस अपराध में लड़कियों को शामिल किया गया है।जो कि आम लोगों को वीडियो कॉल की स्क्रीन रिकॉर्डिंग करके लोगों को ब्लैकमेल करके पैसों की डिमांड की जाती है।भारत सरकार ने स्मार्टफोन बेस्ट प्रैक्टिसेज पर एक एडवाइजरी जारी की है जिसका पालन करने और ध्यान में रखने से स्मार्टफोन यूजर्स ऑनलाइन सुरक्षित रह सकते हैं। इस एडवाइजरी में सोशल मीडिया या फिर स्मार्टफोन यूजर्स के लिए कई सुझाव दिए गए है जैसे किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले हमेशा उसके डिटेल, डाउनलोड्स नंबर, यूजर रिव्यू, एडिशनल इफॉर्मेशन संक्शन की समीक्षा करनी चाहिए, वही लैपटॉप में अपडेटेड एंटीवायरस और एंटीस्यायवेयर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल और मेनटेन करके हमेशा रखें किसी भी साईट पर पर्सनल डिटेल भरने से पहले हमेशा साईट को वेरिफाई करें।

बैंक संबंधी जानकारी शेयर करने से बचना चाहिए

अनजान लिंक पर कभी भी क्लिक कर उसे ओपन न करें। अनजान वेवसाइट पर ध्यान दें ।कभी भी किसी भी वेबसाइट को सर्च करते वक्त सबसे पहले एचटीटीपीएस पर ध्यान देना चाहिए। अगर वेबसाइट के लिंक में एचटीटीपीएस के बजाय एचटीटीपी है, तो हमें ऐसे वेबसाइट पर नहीं जाना चाहिए। कंप्यूटर फोन पर कभी भी थर्ड पाटी एप या फ्री का सॉफ्टवेयर इस्टॉल न करें। एप को इंस्टॉल करने के लिए सिर्फ प्ले स्टोर  का इस्तेमाल करें. एप इंस्टॉल करने के पूर्व उसकी जांच करें ऑन लाइन स्कीम, लॉटरी या गिफ्ट के मैसेज पर भरोसा न करें। साइबर ठगी होने के बाद पीड़ित सबसे पहले 1930 पर कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज कराए, फोन करने के साथ ही शिकायत दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी जाती है, उसके बाद पीडित थाना जाकर भी अपनी शिकायत कर सकता है। इसके अलावा साइबर क्राइम जीओवी इन में जाकर भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

 

 

 

राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर सिम कार्ड और  धोखाधड़ी करने में इस्तेमाल मोबाइल डिवाइस को ब्लॉक करने के लिए एक प्लेटफॉर्म विकसित किया गया है। अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक कुल 4 लाख 29 हजार 152 मोबाइल नंबर ब्लॉक किए गए हैं। साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम का गठन चार साल पहले किया गया था ताकि साइबर क्राइम की सही रिपोर्ट दी जा सकी है। इसकी रिपोर्ट कहती है कि 2021 से लेकर अब तक 30 लाख से अधिक साइबर क्राइम की कप्लेन दर्ज की गई है। इन वर्षों में साइबर अपराधियों ने 28,000 करोड़ की धोखाधड़ी की।

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