कलाग्राम भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता का प्रतिबिंब है- अरुणीश चावला।

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कथक नृत्य ने दर्शकों का मोहा मन, कलाग्राम में आयोजित सांस्कृतिक कुंभ का हुआ समापन

प्रयागराज। बुधवार को संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कलाग्राम में आयोजित सांस्कृतिक संध्या के समापन अवसर पर भारत सरकार के संस्कृति सचिव अरुणीश चावला ने अपने उद्धबोधन में बोलते हुए कहा कि कलाग्राम कला महोत्सव भारतीय संस्कृति और पारंपरिक कलाओं को संजोने व बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा है। कलाग्राम में देशभर के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया यह अभूतपूर्व रहा, जिससे भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को एक मंच मिला। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में कलाग्राम मुख्य आकर्षण के केंद्र रहा। उन्होंने कहा कि विलुप्ति हो रही लोक कलाओं को हमने कलाग्राम में लाने का प्रयास किया है।

 

 

कलाग्राम विरासत में विकास का सही नमूना है। श्री चावला ने कहा, “कलाग्राम भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता का प्रतिबिंब है। संस्कृति मंत्रालय की ओर से उन्होंने सभी कलाकारों, आयोजकों और दर्शकों का धन्यवाद किया और आश्वासन दिया कि भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन जारी रहेगा, जिससे भारतीय कला और संस्कृति को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। सांस्कृतिक संध्या में लोकरंग की बहुरंगी प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया, वही कथक की ताल से त्रिवेणी की शाम निखर उठी। कार्यक्रम की शुरुआत मथुरा से आए दीपक शर्मा एवं दल द्वारा मयूर नृत्य की प्रस्तुति देकर की। इसके बाद वाराणसी से आई रिचा पाण्डेय एवं दल ने अपनी भाव भंगिमा और कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी प्रस्तुति का मुख्य आकर्षण ‘शिवोहम’ रहा। इसमें उन्होंने शिव के विभिन्न रूपों को नृत्य के जरिए पेश किया।

 

 

 

अगली प्रस्तुति ढोल की थाप पर तमिलनाडु का पारंपरिक लोकनृत्य थपट्टम कलामननी पजहानी एवं दल द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम के समापन के अवसर पर केंद्र के प्रभारी निदेशक आशिस गिरि, दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक के.के. गोपालकृष्णनन, केंद्र के सहायक निदेशक सुरेंद्र कश्यप तथा केंद्र के समस्त अधिकारी, कर्मचारी सहित काफी संख्या में दर्शक मौजूद रहे।

AT Samachar
Author: AT Samachar

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