वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में समस्याएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। राजनीतिक नेताओं की नैतिकता में गिरावट सर्वविदित है। पहले जहाँ नेता नैतिक मूल्यों को अधिक महत्व देते थे, अब कुछ नेता व्यक्तिगत लाभ के लिए नैतिकताओं का उल्लंघन कर रहे हैं।
राजनीतिक बहसों का स्तर कम हो रहा है
राजनीतिक बहसों का स्तर भी चिंताजनक ढंग से गिरता जा रहा है। मुद्दों की बजाय व्यक्तिगत हमलों पर ध्यान केंद्रित होता है, जिससे वास्तविक समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता। यह प्रतिस्पर्धा केवल दिखावे तक सीमित रह गई है।
मतदाता की भागीदारी और उसके असर
मतदाता की भागीदारी घट रही है, जो लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है। लोगों का राजनीतिक प्रक्रिया में विश्वास कम हो गया है। इससे चुनावों में वोटिंग पर असर पड़ता है, जिससे सही प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता।
सोशल मीडिया का राजनीतिक भ्रामक प्रभाव
सोशल मीडिया ने राजनीतिक संवाद को आसान बनाने के साथ-साथ बहसों को भी उलझा दिया है। यहाँ पर फैली गलत जानकारी और झूठे प्रचार ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। नागरिकों में अविश्वास की भावना प्रबल होती जा रही है।
गठबंधन राजनीति की चुनौती और समस्या
गठबंधन राजनीति भी स्थिरता की कमी का कारण बन रही है। अलग-अलग विचारधाराएँ परस्पर टकरा कर फैसले लेने में बाधित होती हैं।
राजनीति में भ्रष्टाचार और उसके परिणाम
भ्रष्टाचार का मुद्दा राजनीति में चारों ओर फैला हुआ है। नेताओं की कथनी और करनी में कोई मेल नहीं है। इससे जनता का विश्वास और भी कमजोर हुआ है। राजनीतिक व्यवस्था की विश्वसनीयता को बनाए रखना अब एक बड़ी चुनौती बन गई है।