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राष्ट्रीय शिल्प मेले में बिखरी पंजाब परंपरा की अद्भुत छटाभजन गायिका रंजना त्रिपाठी ने अपने सुरों से बांधा समां।

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त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट


Prayagraj: एक मंच पर सांस्कृतिक विविधता को समेटे राष्ट्रीय शिल्प मेले के ग्यारहवें दिन बुधवार को कलाकारों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर दर्शकों को अभिभूत किया।

एनसीजेडसीसी में इन दिनों देश के विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति, भजन, लोकनृत्य और लोकगायन से परिचित होने का अवसर प्रयागवासियों को मिल रहा है। एक से बढ़कर एक रंगारंग प्रस्तुति दर्शकों का सिर्फ मनरंजन ही नहीं हो रहा है, बल्कि वे विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक विरासत से भी रूबरू हो रहे हैं।

एनसीजेडसीसी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय शिल्प मेले की सांस्कृतिक संध्या में बुधवार को कार्यक्रम की शुरूआत प्रयागराज के ए.एस. शुक्ला ने जादू दिखाकर दर्शकों का खूब मनरंजन किया। इसके बाद पंजाब से आए अमरेंद्र सिंह एवं साथी कलाकारों ने पारंपरिक पोशाक, ढोल की थाप और लोकगीतों की धुन पर भांगड़ा नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया।

आशा देवी एवं दल द्वारा झूमर नृत्य की प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरी। इसी क्रम में पांचाली और साथी कलाकारों ने त्रिपुरा का होजागिरी नृत्य की प्रस्तुति देकर तालियां बटोरी। भजन गायिका रंजना त्रिपाठी ने “पहले मैं तुमको मनाऊं गौरी के लाला, कोयल बीन बगियां ना सोने राजा” तथा “विनय करु हाथ जोड़के कलेवा” को पेश किया। इसके बाद बिहार से आए गोपाल सिंह भरद्वाज ने “किसको दिल दिया जाए सोचना ज़रूरी है”, “सॉसों की माला पे सिमरू मैं पी का नाम…” तथा “मैं तो हवा हँ किस तरह पहरे लगाओगे” जैसे गीतों को सुनाकर श्रोताओं को आन्नदित किया।

वही मथुरा से आए नरेन्द्र शर्मा एवं दल द्वारा ब्रज के लोकनृत्य की प्रस्तुति पर दर्शक मंत्रमुग्ध हुए। कोलकाता से आए हरेकृष्ण एवं दल द्वारा, ढोल, खंजीरा के साथ खोल वादन की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन प्रियांशु श्रीवास्तव ने किया।

AT Samachar
Author: AT Samachar

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