आम दिनों की अपेछा मेला के चलते शहर में बढ़ी लाखो लीटर पानी की खपत
त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। शहर में आम दिनों की अपेक्षा महाकुंभ के चलते लाखों लीटर पानी की खपत बढ़ गई है। पेयजल सप्लाई के लिए जलकल की मशीनें दिन रात चल रही हैं। जिस टंकी में पानी चौबीस घंटे चलता था, आज उसे दिन भर में तीन से चार बार फुल करना पड़ रहा है। पानी की बढ़ी हुई खपत का असर भू-गर्भ जल के लेवल पर पड़ सकता है। यदि ऐसा हुआ तो गर्मी के दिनों में पूरे शहर को पानी की समस्या का सामना करना पड़ेगा। यह बात अलग है कि पानी की खपत बढऩे के बावजूद जलकल विभाग का गर्मियों में भी बेहतर सप्लाई का दावा है।
कई-कई बार भरने पड़ रहे टैंकर
Municipal council सीमा विस्तार के बाद शहर में वार्डों की संख्या 100 हो गई है। इसमें पुराने 80 वार्ड भी शामिल हैं। इन वार्डों में वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक आबादी 16 लाख है। हालांकि मौजूदा समय में यहां की आबादी करीब 20 लाख के आसपास होने का अनुमान है। इस शहर में जलापूर्ति की जिम्मेदारी जलकल विभाग के पास है। आम दिनों में यहां विभाग के द्वारा विभिन्न माध्यमों से 402 एमएलडी पानी की सप्लाई की जाती है। मगर, जब से Mahakumbh मेला का स्नान पर्व शुरू हुआ है, एक से सवा करोड़ श्रद्धालु प्रति दिन शहर के विभिन्न मार्गों से मेला पहुंच रहे हैं। इतनी बड़ी श्रद्धालुओं की संख्या के लिए भी जलापूर्ति के प्रबंध का जिम्मा जलकल विभाग के पास है।
जलकल विभाग को 500 एमएलडी से भी अधिक पानी की सप्लाई प्रति दिन करनी पड़ रही
आंकड़ों पर गौर करें तो इस समय विभिन्न माध्यमों से जलकल विभाग को 500 एमएलडी से भी अधिक पानी की सप्लाई प्रति दिन करनी पड़ रही है। अकेले खुशरोबाग होल्डिंग एरिया में एक हजार की लगाई गई 28 टंकियों को दिन में तीन से चार बार फुल करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं जगह-जगह लगाए गए एक हजार व 500 के सौ वाटर टैंकर दिन भर में तीन से चार बार फुल करने पड़ रहे हैं। इस तरह आम दिनों की अपेक्षा मेला टाइम में लाखों लीटर पानी की सप्लाई सिर्फ शहर में की जा रही है। इस पानी का ज्यादातर हिस्सा ट्यूबेल के जरिए जमीन से निकाला जा रहा है। मेला की भीड़ अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। यदि सप्लाई के लिए पानी का दोहन इसी तरह कुछ दिन और हुआ तो इसका बड़ा असर भू-गर्भ जल स्तर पर पड़ेगा। वाटर लेवल डाउन हुआ तो गर्मी के दिनों में जलकल के ट्यूबेल भी जवाब दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में पूरे शहर को गर्मी में जल के संकट से जूझना पड़ सकता है। भू-गर्भ जल विभाग के हाईड्रोलाजिस्ट भी इस बात से इत्फाक रखते हैं। कहते हैं कि पानी सप्लाई के दो ही माध्यम हैं। नदियां व मशीनों के द्वारा जमीन से पानी निकाला जाएगा तो इसका असर वाटर लेवल पर निश्चित पड़ेगा। कितना असर पड़ा यह बात विभागीय मेजरमेंट के बाद ही क्लियर होगा। यह मेजरमेंट साल में चार बार किया जाता है। इसमें दो मर्तबा गर्मी और दो बार ठंडी में शामिल है।
402 एमएलडी पानी आम दिनों में होता था खर्च
500 एमएलडी पानी मेला शुरू होने के बाद हो रही सप्लाई
01 हजार व 500 लीटर के सौ टैंकर से भी सप्लाई
03 से 04 बार 24 घंटे में भरी जा रही जा रही पानी टंकी
01 हजार लीटर की 28 टंकियां लगाई गई हैं खुशरोबाग में
07 वाटर एटीएम से भी पेयजल की आपूर्ति कर रहा विभाग
भरते देर नहीं टॉयलेट की टंकी खाली
इन दिनों मेला में आने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ के चलते टॉयलेट में भी पानी की खपत कई गुना बढ़ गई है। जलकल विभाग की मानें तो जिस टंकी को एक बार भरने पर चौबीस घंटे पानी चलता था। मौजूदा समय में उसी टंकी को दिन में चार से पांच बार फुल करना पड़ रहा है। कुछ एरिया में तो छह से सात भी टंकियों फुल की जा रही हैं।
यहां बारिश बहुत अच्छी हुई नहीं। पानी की खपत बढ़ गई है तो जाहिर है ज्यादातर हिस्सा जमीन से ही निकाला जाता है। इसका असर भू-गर्भ जल स्तर पर तो पकड़ेगा ही। कहां पर कितना असर हुआ यह गर्मी में किए जाने वाले मेजरमेंट से ही क्लियर हो पाएगा।
रविशंकर पटेल, हाईड्रोलाजिस्ट भू-गर्भ जल विभाग।
भीड़ को देखते हुए सप्लाई की टाइमिंग बढ़ा दी गई है। आम दिनों की तुलना में 98 एमएलडी से भी अधिक पानी की सप्लाई विभिन्न माध्यमों से की जा रही है। पानी सप्लाई के मुकम्मल इंतजाम हैं। सप्लाई वाटर का काफी हिस्सा यमुना का पानी है। इस लिए इसका वाटर लेवल पर असर नहीं पड़ेगा।
शिवम मिश्रा, अधिशासी अभियंता मुख्यालय जलकल
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