अवध के फरवाही नृत्य पर दर्शकों को किया अभिभूत
त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
महाकुम्भ नगर। कलाग्राम में बुधवार को आयोजित सांस्कृतिक संध्या में लोकनृत्य, संगीत और भक्ति की बयार से बही। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक की सांस्कृतिक झलक एक ही छतरी के नीचे देखने को मिल रही है। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कुंभ में हर राज्य के कलाओं की प्रस्तुति हो रही है। बुधवार की शाम प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना तेजस्वनी साठे के नाम रही। उन्होंने अपनी अद्वितीय प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। तेजस्वनी साठे ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत शिव वंदना से की, जिसमें उनके भावपूर्ण हाव-भाव और उत्कृष्ट पद संचालन ने सभी का मन मोह लिया। इसके बाद उन्होंने तीनताल में लयकारी और बनारस घराने की पारंपरिक बंदिशों का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का विशेष आकर्षण उनकी ‘सृजन’ नामक विशेष प्रस्तुति रही, जिसमें उन्होंने नृत्य के माध्यम से प्रकृति के विभिन्न तत्वों जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। पारंपरिक वेशभूषा धोती, कुर्ता, बनियान पहने मंजीरा, करताल व बांसुरी की धुन पर श्रीराम के गीतों पर अवध से आए विजय यादव एवं दल द्वारा फरवाही नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों से खूब तालियां बटोरी।
इस नृत्य में कलाकारों द्वारा लाठी, डण्डों पर चलकर कई करतब दिखाया जाता है
अगली प्रस्तुति संगीतकार और गायिका विद्या शाह की रही उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की विभिन्न शैलियों को अपनी सुरीली आवाज़ और अनूठी संगीत संरचनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया। विद्या शाह ने अपनी प्रस्तुति की शुरुआत एक भक्ति रचना से की, जिसमें उनके गहरे स्वर और भावनात्मक अभिव्यक्ति ने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इसके बाद उन्होंने ठुमरी, दादरा शानदार प्रस्तुतियां दीं। इसके बाद कलाकारों द्वारा नागालैण्ड का मुगयान्ता नृत्य, त्रिपुरा का मोमिता नृत्य, अरुणांचल प्रदेश का रिखमपाड़ा नृत्य, सिक्किम का तमांग नृत्य, गुजरात का मेवासी नृत्य तथा असम का राराकेली नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों को खूब आनंदित किया। मंच का संचालन डॉ. आभा मधुर ने किया।
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