बाल कलाकारों ने दी एलआर प्रबुद्ध को श्रद्धांजलि।

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टीएन शर्मा की रिपोर्ट

मंत्री, सचिव, संयुक्त सचिव संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार को भेजा ज्ञापन

प्रायागराज। प्रबुद्ध फाउंडेशन और डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा) के अध्यक्ष उच्च न्यायालय के अधिवक्ता आईपी रामबृज ने बहुजन संस्कृति के संरक्षण, सम्बर्धन एवं उसके विकास, उन्नयन और स्थापत्य के लिये बिगत सन 2007 से नगर प्रायागराज के 185 मलिन बस्तियों में 07 से 17 आयु वर्ग के बच्चों के सृजनात्मक कलात्मक और व्यक्तित्व विकास के लिये प्रस्तुतिपरक ग्रीष्मकालीन प्रबुद्ध बाल रंग कार्यशाला का आयोजन कराते रहे चले आ रहे है। विगत सन 2016 की कार्यशाला में रंगमंच का बाल कलाकार एलआर प्रबुद्ध पुत्र आईपी रामबृज की कार्यशाला के दौरान भीषण गर्मी में लूज मोसन से 11 जून 2016 को परिनिर्वाण (मृत्यु) हो जाती है जिसकी स्मृति में 2017 से लगातार 20 मई से 11 जून तक एक बाईस दिवसीय प्रस्तुतिपरक ग्रीष्मकालीन प्रबुद्ध बाल रंग कार्यशाला का आयोजन करके नृत्य, गायन व नाटकों की प्रस्तुतियां उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र प्रयागराज के प्रेक्षागृह में मंचन करके स्मृति दिवस के रूप में समापन किया जाता रहा है।


दावा अध्यक्ष आईपी रामबृज ने रंगमंच का बाल कलाकार एलआर पबुद्ध की पुण्यतिथि 11 जून को प्रबुद्ध बाल रंगमंच दिवस घोषित करने के सम्बन्ध में केन्द्रीय संस्कृति मंत्री भारत सरकार व संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार को ज्ञापन भेजता रहा है।


आईपी रामबृज ने ज्ञापन के माध्यम से बताया कि जिस तरह से साहित्य समाज का दर्पण होता है, अनवरत संघर्षो के बाद आज दो दशक से भारत ही नही पूरे विश्व के विश्वविद्यालयों में दलित साहित्य को अन्य साहित्यों की तरह पढ़ाया जा रहा है साथ ही साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की मान्यता और सहयोग से प्रतिवर्ष सैकड़ो की संख्या में शोधार्थी दलित साहित्य पर शोध कर डाक्ट्रेट की उपाधि लेकर अपना मुकाम हासिल कर रहे है ठीक उसी प्रकार से साहित्य की एक विधा रंगमंच है। भारतीय परिदृश्य में जिसका योगदान देश को आज़ाद कराने ले लेकर आज भी सरकारी गैर-सरकारी अनुदानों के माध्यमो से अपना मुकाम हासिल किया है।रंगमंच के संरक्षण, संबर्धन और उसके विकास के लिये ही संस्कृति मंत्रालय का गठन किया गया है।


सम्पूर्ण भारत के रंगकर्मी 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस और 03 अप्रैल को हिन्दी रंगमंच दिवस के रूप में विभिन्न नाट्य प्रस्तुतियों के साथ मनाते है। जिस तरह से हिन्दी साहित्य के साथ दलित साहित्य स्थापित हो चुका है उसी तरह से विश्व रंगमंच और हिन्दी रंगमंच के समनान्तर दलित रंगमंच भी अपने स्थापत्य की ओर अग्रसर है।


उत्तर प्रदेश की धरती प्रायागराज जो गंगा जमुनी की तरज़ीह का एक मिशाल है जो अपनी कला साहित्य और संस्कृति के साथ-साथ अपने धार्मिक बैभव के लिये ऐतिहासिक रूप से विश्व स्तर पर जाना जाता है, उसी प्रायागराज में डा. अम्बेडकर वेलफेयर एसोसिएशन (दावा) व प्रबुद्ध फाउंडेशन के साथ साथ अन्य दलित सांस्कृतिक संस्थाये लगातार दलित संस्कृति के संरक्षण, संबर्धन व विकास के साथ-साथ उसके स्थापत्य के लिये निरंतर प्रयासरत हैं। उक्त संस्था सन 2007 से ही दलित समाज के 07 से 17 आयु वर्ग के बच्चों के सृजनात्मक, कलात्मक और व्यक्तित्व विकास के लिये एक बाईस दिवसीय प्रस्तुतिपरक ग्रीष्मकालीन प्रबुद्ध बाल रंग कार्यशाला का आयोजन नगर की मलिन बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्र की दलित बाहुल्य बस्तियों में करता रहा चला आ रहा है। सन 2016 की कार्यशाला के दौरान बाल कलाकार एलआर प्रबुद्ध उम्र लगभग 06 वर्ष पुत्र आईपी रामबृज (रंग निर्देशक)) का कार्यशाला के दौरान भीषण गर्मी में लूज मोसन से 11 जून 2016 को मृत्यु हो जाती है। जिसकी स्मृति में संस्था उपरोक्त एलआर प्रबुद्ध के नाम पर प्रतिवर्ष बाल रंगमंच के विकास हेतु पांच बाल कलाकारों (तीन बालिका और दो बालक को “प्रबुद्ध गौतम बाल रंगमंच सम्मान” देती रही चली आ रही है। इस सम्मान में प्रत्येक बाल कलाकार को 2000/- दो हजार रुपये नगद, स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया जाता रहा है।
संस्था संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार से मांग करती है कि दलित बाल रंगमंच के संरक्षण, संबर्धन और उसके स्थापत्य हेतु एलआर प्रबुद्ध की पुण्यतिथि 11 जून को बहुजन बाल रंगमंच दिवस घोषित कराये।

AT Samachar
Author: AT Samachar

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