त्रिभुवन नाथ शर्मा
प्रयागराज। कैज़ुअल लव अफेयर्स, ब्रेकअप्स, सोशल मीडिया और अश्लील विडियों की लत– युवाओं के इन्हीं अहम और सामयिक मुद्दों के समाधान के लिए 8 फरवरी को दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा ‘मेगा यूथ फेस्ट’ का आयोजन किया गया। संस्थान ने स्टैंड-अप कॉमेडी, म्युज़िकल प्रस्तुति और प्रेरक वार्ताओं के माध्यम से लगभग ढाई हज़ार युवाओं को कुम्भ मेले के सेक्टर-9 में मार्गदर्शन प्रदान किया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में अनुराग ठाकुर ने भी अपनी मौज़ूदगी दर्ज़ की। फेस्ट के विभिन्न सत्रों का आयोजन दिव्य गुरु आशुतोष महाराज जी की साध्वी शिष्याओं द्वारा किया गया।
अनुराग ठाकुर ने सांझा किया, ‘आज युवाओं के बीच दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान का नाम इसलिए भी प्रचलित हैं क्योंकि संस्थान के संस्थापक, दिव्य गुरु आशुतोष महाराज जी के लाखों-लाखों उच्च शिक्षित नि:स्वार्थी शिष्य है, सैकड़ों साध्वी एवं स्वामी संन्यासी युवा ही हैं। ऐसा इसीलिए है क्योंकि दिव्य गुरु श्री आशुतोष महाराज जी की यह दिव्य विचारधारा हैं कि अगर युवा शक्ति को सही मार्गदर्शन मिल जाए तो भारत स्वत: ही विश्वगुरु बन जाएगा’।
संस्थान की प्रवक्ता, साध्वी तपेश्वरी भारती जी ने युवाओं की स्थिति को चित्रित करते हुए कहा की आज का युवा, ‘ये दिल मांगे मोर’ का राग अलापते हुए धड़ले से सोशल मीडिया पर रील्स और ओटीटी पर वेब सीरीज़ देखने में लगा हुआ है। इस पर भी स्थिति बद-से-बदतर दिखाई तब देने लगती है जब युवा इन्हीं प्लेटफार्म्स पर पोर्न और अश्लील कंटेंट देखने में अधिक रूचि लेता नज़र आने लगता है। लत के संदर्भ में साध्वी जी ने अपने आध्यात्मिक गुरु श्री आशुतोष महाराज जी के वचनों को रेखांकित करते हुए कहा, ‘जब व्यक्ति सिगरेट के धुंए का पहला छर्रा उड़ाता है, तब साथ में खूब ज़ोर से खांसता भी है। उसकी अंतर्चेतना उसे आगाह करती है कि यह उसके लिए हानिकारक है। पर क्या इस अनुभव को लेने के बाद भी वो धुम्रपान करना छोड़ देता है? नहीं! ठीक यही होता है जब वो शराब के जाम अपने अन्दर उतारता है- वमन करना, खुद से नियंत्रण खो देना, नशे की हालत में गलत काम कर जाना। इन खराब अनुभवों के बावजूद भी क्या वो शराब से दूरी बना लेता है? नहीं! क्योंकि, इन व्यसनों का संग करने का एक ही परिणाम होता है– दूरी नहीं; मजबूरी। यह इंसान के मन की मजबूरी उसे तबाही की कगार तक ले जाती है।’ साध्वी जी ने कहा कि रील्स, वेब सीरीज़ और पॉर्न की लत भी इंसान की यही गति बना देती हैं। सत्र में आगे, उन्होनें इन व्यसनों पर काबू पाने के लिए मन को जागृत आत्म-चेतना के वश में सौंपने के लिए कहा, जैसा भगवद्गीता में भी लिखा है, “आत्मन्येव वशं नयेत्”।
इसी कार्यक्रम में भारतीय इतिहास में दर्ज़ सच्ची प्रेम गाथाओं पर आधारित एक संगीतमय प्रस्तुति भी हुई। जिसमें इस पीस कार्यक्रम की इंचार्ज साध्वी डॉ निधि भारती जी ने कहा कि इंस्टेंट लव, हुक-अप्स और ब्रेकअप्स वाले रिश्तों का ट्रेंड पाश्चात्य जगत से अपनाया गया है। क्योंकि भारत की संस्कृति ने तो हमेशा से त्याग, समर्पण, विश्वास और पवित्रता जैसे मूल्यों पर आधारित सच्चे-प्रेम का पाठ ही विश्व को पढ़ाया है। साध्वी जी ने रानी पद्मावती और रतन सिंह की प्रेम कहानी को सुनाया। जिसमें रतन सिंह अपने प्रेम की गरिमा बनाये रखने की ख़ातिर योद्धा बनकर डटे रहते है। वहीं रानी पद्मावती भी अपने प्रेम की पवित्रता को सिद्ध करते हुए खिलजी को अपनी दहलीज़ तक पहुँचने ही नहीं देती। साध्वी जी नें आगे, महादेव और सती के जीवन से उद्धृत प्रसंग से भी समझाया की जब महादेव का सती से विछोह हो जाता है तब महादेव अंतर्मुखी होकर ध्यान में स्थित हो जाते है। असल में ब्रेकअप जैसी विछोह की स्थिति में ध्यान ही सबसे कारगर सूत्र सिद्ध होता है।
कार्यक्रम के अन्त में डांस सत्र का आयोजन भी हुआ जिसमें उपस्थित मॉडर्न युवाओं ने भक्ति की फ्यूज़न धुनों पर थिरककर आनंद लिया।
