ईद-उल-फितर के बाद आने वाला दूसरा सबसे बड़ा इस्लामी त्योहार है बकरीद
टीएन शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। बकरीद, जिसे ईद-उल-अजहा भी कहा जाता है, इस्लामी धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार हज़रत इब्राहीम की अल्लाह के प्रति निष्ठा और उनके बलिदान की याद में मनाया जाता है। यह ईद-उल-फित्र के बाद आने वाला दूसरा सबसे बड़ा इस्लामी त्योहार है और इसे बलिदान का पर्व भी कहा जाता है। देशभर में बकरीद का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसे ईद-अल-अजह़ा और ईद-उल-अज़हा नाम से जानते हैं। इस दिन को त्याग और कुर्बानी के तौर पर याद किया जाता है।
इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, हर साल आखिरी माह ज़ु अल-हज्जा की 10वीं तारीख को बकरीद का पर्व मनाया जाता है। इस साल बकरीद 17 जून 2024 को मनाई जा रही है। ये पर्व पैगंबर हजरत इब्राहिम से ही कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई थी। इस दिन सूर्योदय के बाद नमाज़ अदा करने के बाद कुर्बानी दी जाती है। माना जाता है कि एक दिन हजरत इब्राहीम से ख्वाब में अल्लाह ने उनकी सबसे प्यारी चीज को अल्लाह की राह में कुर्बान करने को कहा। हजरत इब्राहिम ने अपने ख्वाब को सच जाना और अल्लाह की राह में अपनी सबसे अज़ीज चीज अपने बेटे को अपने रब की रजा के लिए कुर्बान करने की ठान ली।
बकरीद का त्योहार हज़रत इब्राहीम की उस घटना पर आधारित है, जब उन्होंने अल्लाह के हुक्म पर अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को बलिदान करने के लिए तैयार हो गए थे। अल्लाह ने उनकी परीक्षा लेने के लिए यह आदेश दिया था, लेकिन जब इब्राहीम अपने पुत्र को बलिदान करने लगे, तब अल्लाह ने उनकी निष्ठा को देखकर हज़रत इस्माइल की जगह एक मेढ़ा भेज दिया। इस प्रकार, इब्राहीम का बलिदान पूर्ण हुआ और तभी से यह दिन बलिदान के प्रतीक के रूप में मनाया जाने लगा। बकरीद का महत्व केवल बलिदान तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपनी प्रिय वस्तुओं को अल्लाह के रास्ते में त्यागने के लिए तैयार रहना चाहिए। यह त्योहार हमें परस्पर प्रेम, सद्भावना, और सहायता का पाठ पढ़ाता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि बलिदान और सेवा में ही सच्ची खुशी और संतोष निहित है।
बकरीद का त्योहार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और मानवीय मूल्यों को भी प्रकट करता है। यह हमें त्याग, निष्ठा, और सामाजिक सेवा के महत्व को समझने का अवसर प्रदान करता है। बकरीद का त्योहार वास्तव में एक ऐसा पर्व है जो हमें आपस में जोड़ता है और प्रेम, भाईचारे और इंसानियत के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
