देवेन्द्र कुमार जैन की रिपोर्ट
सीधी, एमपी। सोन घड़ियाल संरक्षण जागरूकता के लिए ऋषिकेश फ़ाउण्डेशन के सेवादारों और मोगली पलटन के बाल सेनानियों द्वारा बारह घण्टों में सौ किलोमीटर की साइकल यात्रा की गयी। यात्रा अपने पहले चरण में छत्रसाल स्टेडियम-सीधी से सुबह सात बजे प्रारंभ हुयी। यात्रा सीधी से कुचवाही, मझरेटी, सैरपुर, झुमरिया, खोरी, मुड़िका, हटवा, गोड़ाही, परसवार, तिलई,जोंकहा होते हुए जोगदह घाट पहुँची। जोगदह सोन घड़ियाल अभयारण्य में भ्रमण करने के दौरान तीन घड़ियाल दिखाई दिए। अभयारण्य तक का लगभग डेढ़ किलोमीटर का पहुँच मार्ग आज भी कच्चा ढर्रा है, एकदम ऊबड़ खाबड़। इस पहुँच मार्ग को देखकर ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सरकारी अमला इस दुर्लभ प्रजाति के जीव के संरक्षण को लेकर कितना गम्भीर है। थोड़ा विश्राम करने के बाद यात्रा का दूसरा चरण प्रारम्भ हुआ। इस चरण में यात्रा जोगदह घाट, कुंकराव, मायापुर, लौआ, कुबरा, चंदवाही, बहरी, मटिहनी, पड़रिया, गजरही, भितरी, कुबरी, तेंदुहा, रजडिहा, कुचवाही, जोगीपुर होते हुए शाम सात बजे पुनः छत्रसाल स्टेडियम पहुँच कर समाप्त हुयी।
घड़ियाल एक जीवित जीवाश्म
घड़ियाल मगरमच्छ की प्रजाति का एक उभयचर है। घड़ियाल की विशेषता यह है कि ये प्राणी ग्लोबल वार्मिंग और आइस एज झेलकर भी आज तक अपना अस्तित्व बनाए हुए है। इसीलिए इसे जीवित जीवाश्म भी कहा जाता है।
क्यों जरूरी है घड़ियाल
1.घड़ियाल को आईयूसीएन की रेड डाटा सूची में संकटग्रस्त प्रजाति की श्रेणी में रखा गया है।
2.घड़ियाल एक इंडिकेटर स्पीशीज है।अर्थात यदि नदी में घड़ियाल है मतलब नदी अभी स्वस्थ है।
3.घड़ियाल नदी पारितंत्र की की-स्टोन प्रजाति भी है। मतलब घड़ियाल बचेगा तो सोन बचेगी।
सीधी को क्या मिलेगा घड़ियाल बचाकर?
- एक दुर्लभ प्रजाति होने के कारण देश-विदेश से पर्यटक आयेंगे,जिससे रोजगार के अवसर बनेंगे
- दुनियाभर में सीधी को घड़ियाल सिटी के रूप में पहचान मिलेगी
3.भविष्य में सीधी में इको टूरिज्म सर्किट विकसित किया जा सकता है। जैसे-माउंटेन ट्रैकिंग, मड हाउस स्टे,रूरल टूरिज्म, एग्री टूरिज्म आदि। घड़ियाल पर क्या संकट है? - घड़ियालों में नपुंसकता
1.नर घड़ियालों की कमी
2.अत्यधिक शिशु मृत्यु दर
3.आवासों की घटती संख्या एवं गुणवत्ता
ऋषिकेश फाउंडेशन