आराधना-महोत्सव, ज्ञान और वैराग्य से ईश्वर की प्राप्ति होती है-व्यास ओम नारायण तिवारी।

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त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट

प्रयागराज। श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में अलोपीबाग स्थित भगवान आदिशंकराचार्य मंदिर में ज्योतिष्पीठ के पूर्व शंकराचार्यों की स्मृति में आयोजित हो रहे आराधना महोत्सव अनुष्ठान में बोलते हुए मध्य प्रदेश से पधारे पूज्य व्यास ओम नारायण तिवारी जी ने बताया कि संतों की कृपा से ज्ञान और विवेक प्राप्त होता है और ईश्वर की कृपा से संत मिलते हैं। राजा परीक्षित जी गुरू सुखदेव जी महाराज से निवेदन किया कि ऐसी कथा सुनाईये मेरे और मनुष्य मात्र के लिए कल्याणकारी हो। गुरू सुखदेव जी महाराज ने बताया कि जिस कार्य से भगवान प्रसन्न हो जायें वही कार्य धर्म है। अपने बुद्धि विवेक को भी ईश्वर को समर्पित करके अहंकार त्याग कर स्मरण करने से ईश्वर प्राप्त होते हैं। जो भक्त भगवान को समर्पित हो जाता है तो ईश्वर स्वयं प्रकट हो जाते हैं। धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की शास्त्रों के अनुसार व्याख्या करते हुये उन्होंने बताया कि भगवती भगवान की सेवा का कोई मूल्य या पारिश्रमिक नहीं मिलता। निष्काम भाव से ही उनकी पूजा-स्मरण करना चाहिये।

श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरुशंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि गुरू से ही ज्ञान मिलता है। अपने भूत और वर्तमान की परिस्थितियों का ज्ञान हो जाता है और इसी से भविष्य का सही ज्ञान होता है, जिससे प्राणी अपना सही लक्ष्य निर्धारित करके अपनाहित, लोकहित, प्राणिमात्र का हित कर सकता है। पूज्य स्वामी जी ने बताया कि 15 दिसम्बर तक चलने वाले आराधना महोत्सव में 10 दिसम्बर को श्रीमज्ज्योतिष्पीठोद्धारक जगद्गुरूशंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी ब्रह्मानंद जी, 11 दिसम्बर को श्रीमज्ज्योतिष्पीठोद्धारक जगद्गुरूशंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानंद जी तथा 15 दिसम्बर को एवं गीता जयंती का, 12 दिसम्बर को श्रीराम-जानकी मंदिर का पाटोत्सव होगा। 15 दिसम्बर को श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीवर जगद्गुरूशंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी शांतानंद महाराज की आराधना महोत्सव, शिखा प्र्रतियोगिता, विद्वत सम्मेलन एवं विद्वानों का सम्मान आदि कार्यक्रम आयोजित होंगे। इसी दिन आराधना महोत्सव का समापन समारोह भी है।

श्रीमद्भागवत कथा प्रतिदिन 07ः00 बजे से नवान्ह रामचरितमानस गायन जयपुर से पधारे श्री प्यारेमोहन जी एवं सहयोगियों द्वारा संगीतमय पाठ होगा। श्रीमद्भागवत कथा और मैदानेश्वर बाबा का रूद्राभिषेक प्रतिदिन यथावत चलता रहेगा।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से दण्डी संन्यासी स्वामी विनोदानंद सरस्वती जी महाराज, दण्डी स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती जी महाराज, स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी, ब्रह्मचर्य पुरी जी महाराज, पूर्व उप-प्रधानाचार्य पं0 शिवार्चन उपाध्याय, आचार्य पं0 विपिन मिश्रा जी महाराज, आचार्य पं0 अभिषेक मिश्रा, आचार्य पं0 मनीष आदि ने पूज्य भगवान शंकराचार्य जी की पूजा-आरती किया।

AT Samachar
Author: AT Samachar

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