भजनों से लेकर सूफी संगीत तक अपनी आवाज का जादू बिखेरा।
त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। कलाग्राम में ऐसा सांस्कृतिक महाकुंभ लगा है, जिसमें कश्मीर से कन्याकुमारी तक झलक दिख रही है। सांस्कृतिक कुंभ के पांचवें दिन लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने समां बांधा। उनके मंच पर आते ही मौजूद श्रोताओं तालियों से उनका जोरदार स्वागत किया।अपनी प्रस्तुति से उन्होंने हर किसी की जुबान पर राम जी से पूछे जनकपुर की नारी से, छाप तिलक सब छीनी’ जैसे गीतों की प्रस्तुति से सबका दिल जीत लिया। गुरुवार को शाम मैथिली ठाकुर की सुरमयी आवाज का जादू हर किसी को दीवाना कर दिया। भजनों से लेकर सूफी संगीत तक अपनी आवाज का जादू बिखेरा।
शानदार प्रस्तुतियों से सभी का दिल जीत लिया। मैथिली ने सजा दो घर को गुलशन सा मेरे सरकार आए हैं’, , छाप तिलक सब छीनी’ लोगवा देत कहे गारी, बता दा बबुआ ‘ श्याम आन बसो वृन्दावन मे, मेरी उमर बीत गयी गोकुल में, छाप तिलक सब छीनी’, ‘मेरे रश्के कमर तूने पहली नजर’, कभी राम बनके कभी श्याम बनके को प्रस्तुत कर पूरे पंडाल को भक्तिमय कर दिया’ और मेरे झोपड़ी के भाग खुल जाएंगे, राम आएंगे।, आदि गाने पर तान छेड़ी तो लोग मंत्रमुग्ध हो उठे। इस दौरान कई लोग कुर्सियों को छोड़कर नाचते भी नजर आए। भीड़ के अभिवादन के बाद मैथिली ने रामा रामा रटते, बीती रे उमरिया’ से आगाज किया। फिर एक के बाद कई नगमे सुनाए। ‘डम-डम डमरू बजावे ला हमार जोगिया’ पर श्रोताओं ने तालियों से जुगलबंदी की। देर रात कार्यक्रम समाप्ति के बाद लोग मैथिली ठाकुर की प्रशंसा करते नहीं थक रहे थे। इससे पहले मध्य प्रदेश से आए प्रहलाद कुर्मी द्वारा राई नृत्य, सुभाष देवराणी द्वारा गढ़वाल के नृत्य, भद्दू सिंह एवं दल द्वारा बैगा,परधौनी नृत्य की प्रस्तुति दी गयी।
मैथिली ने कलाग्राम का किया भ्रमण- कलाग्राम में पहुंचते ही केंद्र के प्रभारी निदेशक आशिस गिरि ने उनका जोरदार स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने कलाग्राम में बने इमर्सिव जोन तथा सभी जेडसीसी के आंगन का देखा। इस दौरान काफी संख्या में दर्शकों का तांता लगा रहा।