किसानों की जमीन से जबरियन लगा रहा हाई टेंशन तार दबा रहा आवाज, किसानों ने शासन प्रशासन से लगाई न्याय की गुहार मेरी भी सुनो सरकार, कंपनी की गुंडई के आगे जान दे देंगे मगर कृषि योग्य जमीन से नहीं खींचनें देंगे तार
त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
शंकरगढ़, प्रयागराज। जनपद के यमुनानगर शंकरगढ़ क्षेत्र में स्थित बीपीसीएल कंपनी के खिलाफ़ किसानों ने मोर्चा खोल दिया है। आरोप है कि बीपीसीएल कंपनी प्रबंधन ने बिना सूचित किए भूमिधरी जमीन से टावर के खंभा में हाई टेंशन तार लगवाने का प्रयास कर रही है जिससे किसानों में भारी आक्रोश है। पीड़ित किसानों में उमाशंकर विश्वकर्मा पुत्र हीरालाल विश्वकर्मा निवासी बेनीपुर शंकरगढ़ समेत दर्जनों किसानों ने कहा कि कंपनी के तानाशाही रवैये ने उनके जीवन को मुश्किल बना दिया है।
कंपनी की गुंडई और तानाशाही अब चरम पर पहुंच गई है
बिना अनुमति के किसानों की जमीन के बीच से हाई टेंशन तार खींचा जा रहा है जो कंपनी की मनमानी का सबूत है। किसान राजू विश्वकर्मा, धर्मपाल विश्वकर्मा, उमाशंकर विश्वकर्मा ने बताया कि कंपनी ने बिना सूचना के उनके भूमि के बीच से हाई टेंशन तार खिंचवाना शुरू करवा दिया। किसानों का आरोप है कि जब इसका विरोध किया, तो कंपनी के ठेकेदारों ने वर्करों को काम नहीं बंद करने का निर्देश दिया,और फर्जी मुकदमा दर्ज कराने और उन्हें बर्बाद करने की धमकी दी गई। बीपीसीएल कंपनी कि इस तानाशाही के खिलाफ उमाशंकर विश्वकर्मा ने शंकरगढ़ थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। उमाशंकर का कहना है कि बीपीसीएल कंपनी ने उनकी जमीन पर कब्जा करने के लिए कोई उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई है और ना ही उन्हें कोई मुआवजा दिया गया है।किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे भूख हड़ताल पर बैठेंगे और आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे।
किसानों का कहना है कि जब तक वे जिंदा रहेंगे, अपनी जमीन में बिना अनुमति के हाई टेंशन तार नहीं खींचने देंगे। तमाम किसान संगठन और समाजसेवी भी किसानों के इस दर्द को समझते हुए कहा कि कंपनी अगर ज्यादा तानाशाही करेगी तो हम किसानों के साथ मौके पर ही हड़ताल शुरू कर देंगे। कंपनी ने पहले से ही तानाशाही रवैया अपनाते हुए सरकारी चक रोड मार्ग आदि कंपनी के अंदर में कर लिया है। किसानों से जमीन अधिग्रहित करते वक्त कंपनी ने तमाम वादे किए थे जो खोखले साबित हुए। कंपनी ने क्षेत्र में किसानों को प्रदूषण के अलावा कुछ भी नहीं दिया। अब गुंडई के बल पर किसानों की बची जमीनों पर गिद्ध दृष्टि लगाकर हड़पने की कोशिश में लगा हुआ है।
अब देखना यह है कि प्रशासन किसानों की मांगों पर कितनी गंभीरता से विचार करता है और कंपनी की तानाशाही के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है। लेकिन एक बात तो तय है कि किसान अपनी जमीन की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।
