डीएस मौर्य की खास रिपोर्ट
15 अगस्त यानी अवकाश के दिन हो गई बिना पत्रावली व वाद दायर हुए जमीन का हो गया नामांतरण, तहसीलदार ने दोषी पेशकार व अन्य के विरुद्ध तत्काल एफआईआर दर्ज कराने का दिया आदेश
डिप्टी रजिस्ट्रार तहसील और थाने का लगा रहे है चक्कर, नही दर्ज हुई रिपोर्ट, भूमाफियों से मिल रही धमकी
प्रयागराज। फूलपुर तहसील के झूंसी इलाके में भूमाफियाओं का एक दुस्साहसिक कारनामा सामने आया है। हाईकोर्ट के एक रिटायर डिप्टी रजिस्ट्रार अटल सिंह यादव की नौ बीघे वेशकीमती जमीन को कूटरचित दस्तावेजों से न सिर्फ रजिस्ट्री करा लिया गया बल्कि खतौनी में नाम दर्ज करा उसे बिक्री भी कर दिया गया। भू-माफिया जमीन पर कब्जा करने पहुंचे तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। डिप्टी रजिस्ट्रार की शिकायत पर भूमाफियाओं का खतौनी से नाम तो निरस्त हो गया किंतु स्पष्ट आदेश के बावजूद दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं किए जाने पर क्षुब्ध डिप्टी रजिस्ट्रार ने कोर्ट की शरण ली है।
दरअसल झूंसी थाना क्षेत्र के दुर्जनपुर गांव स्थित आराजी संख्या 233, 255, 38 व 87 रकबा नौ बीघा राजस्व अभिलेखों में कटका निवासी अटल सिंह, निगम सिंह, बासदेव सिंह का नाम बतौर संक्रमणीय भूमिधर दर्ज है।
15.8.2015 यानी अवकाश के दिन कूटरचना करके गंगाजली पत्नी अशोक कुमार, विष्णु कुमार वर्मा, सत्य प्रकाश वर्मा, विजयलक्ष्मी पत्नी ओम शंकर, बलराम वर्मा, विजय कुमार वर्मा, सीमा वर्मा पत्नी जय प्रकाश वर्मा, गौरव वर्मा व मुन्ना लाल पुत्र छेदीलाल निवासीगण झूंसी ने फर्जी बैनामा करा लिया। यही नहीं 28.8.2024 को खतौनी में नाम भी दर्ज करा लिया। खतौनी में नाम दर्ज होने के बाद उक्त जमीन का उपर्युक्त फर्जी बैनामा धारकों ने रूबी त्रिपाठी पत्नी अविनाश त्रिपाठी के नाम 12 जून 2024 को रजिस्टर्ड इकरारनामा भी कर दिया।
बिना वाद और पत्रावली के नामांतरण आदेश जारी
जमीन खाली करने की धमकी मिली तो अटल तहसील पहुंचे और खतौनी निकाली तो भौंचक रह गए। वे और उनके भाइयों ने किसी को रजिस्ट्री किया ही नहीं था तो खतौनी से उनके नाम कैसे कट गए। 18 जनवरी 2025 को फूलपुर उपजिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। तहसीलदार ने मामले का जांच कराया तो तथ्य चौंकाने वाले निकले। प्रेषित जांच रिपोर्ट में दर्शाया गया कि 28 अगस्त 2024 को जिस न्यायालय के आदेश पर कम्प्यूटर की खतौनी में नामांतरण आदेश फीड किया गया था उस न्यायालय में न तो कोई वाद दायर है और न ही कोई पत्रावली उपलब्ध है। यही नहीं रजिस्ट्री दफ्तर में भी बैनामे से संबंधित कोई दस्तावेज नही मिला।
तहसीलदार ने दोषियों के विरुद्ध एफआईआर का दिया आदेश
23 जनवरी 2025 को रिपोर्ट मिलने पर तहसीलदार ने 1 फरवरी को नायब तहसीलदार को तत्काल फर्जी आदेश निरस्त करते हुए दोषी पेशकार व अन्य के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कराने का आदेश जारी कर दिया। फर्जी बैनामा धारकों का नाम तो निरस्त हो गया किंतु दोषियों के विरुद्ध एफआईआर नही दर्ज कराई गई। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए अटल ने अंततः कोर्ट की शरण ली है।
किसान को बेवजह मिल रही सजा
अधिकारियों की शिथिलता कह लीजिए या फिर मिलीभगत ऐसे फर्जी कारनामों की वजह से अटल सिंह यादव को महीनों से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक जो पीड़ा झेलनी पड़ रही वह अवर्णनीय है। अधिवक्ताओं की मानें तो खतौनी में नाम गड़बड़ी की ढ़ेरों शिकायतें हैं और सैकड़ों अनावश्यक वाद लंबित चल रहे हैं।
