देवेन्द्र कुमार जैन की रिपोर्ट
भोपाल, मध्य प्रदेश। देशभर में किराए पर मकान लेना और देना अब एक बड़ा व्यवसाय बन गया है। पहले, मकान मालिकों को अपनी किराए की आय पर जीएसटी चुकाना होता था, लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत किराएदारों को भी जीएसटी चुकाना पड़ेगा। इस नए नियम को रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म कहा गया है, जिसमें किराएदार को जीएसटी में रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य हो गया है। इसका उद्देश्य किराए के कारोबार में पारदर्शिता लाना और टैक्स चोरी को रोकना है।
नई व्यवस्था के तहत, किराएदार को अब अपने किराए पर 18% जीएसटी चुकाना होगा। हालांकि, इसमें राहत की बात यह है कि किराएदार को जो भी टैक्स देना होगा, वह इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में वापस मिल सकता है। इसका मतलब है कि किराएदार को सरकार से अपने द्वारा चुकाए गए जीएसटी का बड़ा हिस्सा रिफंड के रूप में वापस मिलेगा। इस नए नियम को लागू करने का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी किराए की आय और भुगतान सरकारी रिकॉर्ड में सही तरीके से दर्ज हो, ताकि टैक्स चोरी को रोका जा सके। पहले, किराए पर मकान देने वाले मकान मालिक ही जीएसटी रजिस्ट्रेशन करते थे और अपनी आय के बारे में सरकार को बताते थे। लेकिन अब रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत यदि किराएदार जीएसटी में रजिस्टर्ड है, तो वह मकान मालिक से किराया लेते समय जीएसटी का भुगतान करेगा और उसी के बदले सरकार को जीएसटी का भुगतान करेगा। इसके परिणामस्वरूप, यदि मकान मालिक रजिस्टर्ड नहीं है और किराएदार रजिस्टर्ड है, तो किराएदार ही जीएसटी चुकाएगा।
यह व्यवस्था टैक्स की पारदर्शिता और सही तरीके से संग्रहण को सुनिश्चित करती है
नई व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य टैक्स चोरी को नियंत्रित करना है। पहले, कई मकान मालिक किराए की जानकारी सही तरीके से सरकार के रिटर्न में नहीं देते थे, जिससे टैक्स चोरी की घटनाएं होती थीं। अब किराएदार को रजिस्टर्ड किया गया है, ताकि वह अपनी किराए की जानकारी सही तरीके से सरकार को दे सके और दोनों पक्षों के बीच ट्रांजेक्शन पारदर्शी हो। इसके अलावा, यदि मकान मालिक जीएसटी में रजिस्टर्ड नहीं है, तो रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत किराएदार पर यह जिम्मेदारी होगी कि वह सरकार को टैक्स का भुगतान करे। इससे टैक्स चोरी की संभावना कम हो जाएगी।नई व्यवस्था के लागू होने से किराए के व्यापार में पारदर्शिता आएगी, जिससे न केवल टैक्स चोरी पर अंकुश लगेगा, बल्कि यह एक सुनियोजित और सिस्टमेटिक तरीके से टैक्स के संग्रहण में भी मदद करेगा।
सरकार का उद्देश्य यह है कि इस प्रणाली के माध्यम से किराए का कारोबार और संबंधित लेन-देन अधिक सुसंगत और सही तरीके से सरकार के रिकार्ड्स में दर्ज हो, ताकि सभी प्रकार के व्यापार में न्यायपूर्ण टैक्स संग्रहण हो सके।