त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। सनातन हिन्दू विश्व का शिलान्यास है प्रयागराज का 2025 ई0 का महाकुंभ मेला। सनातन हिन्दू विश्व में वह सभी धर्म व संस्कृतियां सम्मिलित हैं जो सृष्टि के समय से ही अस्तित्व में है भले ही समयचक्र के विस्तार के साथ उनका विकसित स्वरूप एवं नाम कुछ भी रहा हो या हो गया हो। यही कारण है कि आज भारत देश के बाहर की वर्तमान भौतिक सीमा (देशों) में भी विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर व उनकी प्रतिमाएं मिल रही हैं। शास्त्र, संत व सत्ता के एकीकरण के समीकरण से आज पूरे विश्व में ‘सनातन’ और हिन्दू शब्दनाम की एकीकृत धर्म-संस्कृति की गूंज (ध्वनि) गुंजायमान है। सभी धर्मों की मूल विचारधारा व उसके अनुयायियों की जीवन पद्धति सनातन धर्म संस्कृति के अनुरूप ही है। अब सम्पूर्ण विश्व इस सूत्र को लगभग स्वीकार करके इसी मार्ग पर आगे बढ़ रहा है।
श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने भगवान आदिशंकराचार्य मंदिर, ब्रह्मनिवास अलोपीबाग में आयोजित हो रहे नौ दिवसीय आराधना महोत्सव में अपने आशीर्वचन में उक्त बातें कहा।
पूज्य स्वामी जी ने आगे बताया कि मंगलवार 10 दिसम्बर को श्री ब्रह्मनिवास भगवान आदिशंकराचार्य मंदिर अलोपीबाग में पूर्वान्ह 10ः30 बजे से श्रीमज्ज्योतिष्पीठोद्धारक जगद्गुरू शंकरचार्य, ब्रह्मलीन स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज का पूजा-पाटोत्सव कार्यक्रम होगा। आराधना महोत्सव के शेष सभी कार्यक्रम पूर्ववत चलते रहेंगे।
आराधना महोत्व में दण्डी संन्यासी स्वामी विनोदानंद जी महाराज, दण्डी स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती, दण्डी संन्यासी ब्रह्मपुरी जी, ज्योतिष्पीठ संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य पं0 शिवार्चन उपाध्याय, आचार्य पं0 अभिषेक मिश्रा, आचार्य पं0 विपिनदेवानंदजी, आचार्य पं0 मनीष मिश्रा, सीताराम शर्मा, अनुराग, दीप कुमार पाण्डेय आदि विशेष रूप से सम्मिलित रहे।