त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित 15 दिवसीय राष्ट्रीय शिल्प मेले का रविवार को समापन हुआ। मेले में अलग -राज्यों से आये कलाकारों तथा शिल्पकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया वही कई राज्यों से शिल्पकारों ने अपने -अपने स्टॉल भी लगाया था। मेले से लौटते समय शिल्पियों के चेहरे खिले नज़र आये।
मेले के अंतिम दिन उमड़ी भीड़
अलग – अलग प्रदेशों से अपनी कला और संस्कृति को लेकर आये शिल्पकार काफ़ी गदगद दिखें। राष्ट्रीय शिल्प मेले में उनका अधिकतर सामान लोगों ने ख़रीदा और तारीफ़ भी की। इस बार भी लोगों में मेले को लेकर काफ़ी उत्साह दिखा। प्रयागवासियों सहित आसपास के लोगों ने मेले का आंनद लिया। रविवार को छुट्टी का दिन होने से एनसीजेडसीसी के मुख्य द्वार पर लगी गाड़ियों की लम्बी कतारे बता रही थी कि मेले में पहुंचने का मौका कोई गवांना नहीं चाहता था काफी संख्या में लोग खरीददारी के लिए आये। राष्ट्रीय शिल्प मेला कला प्रेमियों और शिल्पकारों के लिए बेहद खास रहा मेले में सुन्दर और परम्परा के अनुरूप स्थापित स्टालों पर चंदेरी, सिल्क, सूती कपड़ो तथा राजस्थान के आभूषण, कश्मीर के ड्राई फ्रूट्स जैसे कई उत्पादों के साथ सांस्कृतिक संध्या में लघु भारत का दर्शन प्रयागराज के लोगों को करा गया।
ढेड़िया नृत्य ने बांधा समा
सांस्कृतिक संध्या में अंतिम दिन प्रयागराज के अभिषेक सिंह एवं दल द्वारा पारम्परिक लोक नृत्य ढेड़िया, नटका, और कजरी की प्रस्तुति दी गई इसके बाद भानु प्रताप सिंह ने देवी गीत विंध्याचल वाली मैया…, लागल प्रयागराज में शिल्प मेला मशहूर गोरी तथा काली रंग कोयललिया को पेश कर खूब तालिया बटोरी इसके बाद सूर्य प्रकश दुबे ने कुम्भ में आओ चले सब, प्रयाग नगरी बसे संगम तीरे की प्रस्तुति दी।