आरपीएफ ने दिखाई तत्परता, पर जीआरपी ने मारी संवेदना को ठोकर
धर्मेंद्र प्रजापति की रिपोर्ट
चंदौली। डीडीयूनगर सूरत से रोज़ी-रोटी कमा कर अपने गांव लौट रहे बिहार के किशनगंज निवासी 38 वर्षीय मज़दूर दुखन ऋषि की अचानक तबियत बिगड़ने से डीडीयू जंक्शन पर इलाज के दौरान मौत हो गई। बताया जा रहा है कि दुखन अपने भाई के साथ सूरत से मजदूरी कर अपने घर लौट रहा था कि रास्ते में उसकी तबीयत गंभीर रूप से बिगड़ गई।
जब ट्रेन डीडीयू जंक्शन पर रुकी, तो मजदूर ने आरपीएफ से मदद की गुहार लगाई। आरपीएफ ने तत्परता दिखाते हुए उसे लोको अस्पताल भिजवाया, जहां दोपहर 2:00 बजे इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
लेकिन इसके बाद जो कुछ हुआ, वह इंसानियत को शर्मसार करने वाला था। अस्पताल में शव को रात 12 बजे तक यूं ही रखा गया, न तो जीआरपी ने शव को कब्जे में लिया, न ही यह स्पष्ट किया गया कि पोस्टमार्टम की जिम्मेदारी किस थाने की है। मृतक का भाई पूरे दिन कभी जीआरपी थाना तो कभी लोको अस्पताल के चक्कर काटता रहा, लेकिन कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला।
मौके पर पत्रकारों के पहुंचने के बाद मामला उजागर हुआ। जानकारी मिलने पर थाना अलीनगर प्रभारी ने तत्परता दिखाते हुए शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम की कार्रवाई शुरू करवाई। उन्होंने मृतक के भाई को आश्वासन दिया कि अगले दिन पोस्टमार्टम कर शव सौंप दिया जाएगा।
यह घटना न केवल सिस्टम की लापरवाही उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे गरीब और असहाय लोगों की मौत के बाद भी उन्हें सम्मानजनक अंतिम प्रक्रिया के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
