कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को किया रसाबोर
प्रयागराज। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक’ केंद्र, NCZCC संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व नारायण आर्ट अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को कवि सम्मेलन तथा प्रो•हरिदत्त शर्मा की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति सुधीर नारायण द्वारा रचित काव्य-ग्रंथ ‘सुरसरिता’ का विमोचन सांस्कृतिक केंद्र, प्रेक्षागृह में हुआ।
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति माननीय नीरज तिवारी ने दीप-प्रज्ज्वलित तथा प्रियंका चौहान द्वारा सरस्वति वंदना की प्रस्तुति से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। मंच पर कवियों का मनहर समागम हुआ तो साहित्य के तमाम रस छलकते गए। गीत, गजल और मुक्तक की लड़ियां रोशन हो उठीं। वरिष्ठ कवि योगेन्द्र कुमार मिश्र विश्वबन्धु ने गंगा की महिमा पर सुनाया वेद-पुराणों में वंदित गंगा, विष्णु-पाद से जन्मी गंगा, ब्रह्म कमंडल वासति गंगा। शंकर-केश निवासति गंगा। इसके बाद डा•राजेन्द्र त्रिपाठी ‘रसराज ने पढ़ा गंगा तेरे पानी में अमृत की धारा है, धन्य हैं भगीरथ जो स्वर्ग से उतारा है। श्रोताओं के तालियों के बीच प्रीता बाजपेई ने पढ़ा हमेशा नेकियां होती नहीं कोई बदी होती ,धरा पर बस बहारों की सितारों की सदी होती। डा•शम्भूनाथ त्रिपाठी ‘अंशुल’ ने सुनाया इतने को तार दीहो हमहुं का तार, जैसे नींक लागे वैसे संभार। डॉ श्लेष गौतम ने पढ़ा दूर अंधेरा होगा नई सुबह फिर आयेगी, नई सदी ये गंगा तेरे नाम कहायेगी। प्रसिद्ध कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को आल्हादित कर किया।
न्यायमूर्ति सुधीर नारायण (अ0प्र0),निदेशक रवीन्द्र कुशवाहा द्वारा समस्त अतिथिगण एवं कविगण को पुष्पगुच्छ, अंग-वस्त्र एवं स्मृति-चिन्ह भेंट कर उनका स्वागत किया। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने कहा कि ‘सुरसरिता’ प्रकृति-धर्म-अध्यात्मिकता और मनुष्यता को अपने शब्द-प्रतीकों से अभिसिंचित करने वाला काव्य-ग्रंथ है’। तत्पश्चात मनोज गुप्ता द्वारा ‘सुरसरिता’ की रचनाओं की संगीतमय प्रस्तुति की गयी। कार्यक्रम के अंत में न्यायमूर्ति सुधीर नारायण एवं प्रोफे•ललित कुमार त्रिपाठी, निदेशक गंगानाथ झा संस्कृत अनुसंधान ने अपने उद्गार प्रकट किये। कार्यक्रम का संचालन डा•पीयूष मिश्र ने किया।
इस अवसर पर केंद्र के अधिकारी तथा अपर महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद, डा•रवि मिश्र, डा•सरोज, संतोष कुमार त्रिपाठी, रवीन्द्र कुशवाहा, शम्भूनाथ श्रीवास्तव आदि लोग उपस्थित रहे।