प्रयागराज। कभी देश में 15 हजार नदियां थीं। इनमें 450 नदियों का अस्तित्व समाप्त हो गया है। गंगा-यमुना समेत अन्य नदियों का अस्तित्व बचाने के लिए जन सहभागिता की जरूरतहै। नदी संवाद के संयोजक जीवकांत झा ने बुधवार को नवाब यूसुफरोड स्थित एक होटल में पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान यह बातेंकही। जीवकांत ने कहा कि देश की नदियों का वजूद बचाने के लिए महाकुम्भ में 20 जनवरी को गंगा पंडाल में नदी संवाद होगा। इससंवाद में नदियों को बचाने के लिए काम कर रहे लोगों के साथमहामंडलेश्वर और संत-महात्माओं को आमंत्रित किया जाएगा।
नदी विशेषज्ञ ने कहा कि गंगा का प्रवाह निरंतर नहीं है। महाकुम्भ,कुम्भ के स्नान पर्वों पर ही गंगा में पानी छोड़ा जाता है। गंगा किनारेआसेनिक की मात्रा बढ़ रही है। यमुना की दशा दिल्ली में खराब होगई है। चंबल, केन और बेतवा की वजह से प्रयागराज में यमुना मेंजल दिखाई देता है। गंगा-यमुना को बांधों से मुक्त करने कीआवश्यकता है। संवाद में आने वाले विचारों को लागू करने का प्रयासकिया जाएगा। पूर्व पुलिस अधिकारी और नदी संवाद कार्यक्रमसंयोजक जुगुल किशोर ने गंगा व अन्य नदियों को बचाने में सभी कोभाग लेने का आह्लान किया।
मेला क्षेत्र का गंदा पानी बना देंगे पीने योग्य
महाकुम्भ के दौरान मेला क्षेत्र में निकलने वाला गंदा पानीपीने योग्य बनाया जा सकता है। डिपॉर्टमेंट ऑफ एटॉमिक एन्जीऔर भाभा एकॉमिक सेंटर के सहयोग से मेला क्षेत्र के सेक्टर 10, 13और 15 में अत्याधुनिक ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है। दोनोंसंस्थान की और से तीन प्लांट लगाने में सहयोग कर रहे वैज्ञानिक अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि प्रतिदिन 15 लाख लीटर गंदे पानीका शोधन होगा। पानी को साफ करने के लिए खास तरह केबैक्टेरिया का इस्तेमाल किया जाएगा। वैज्ञानिक के अनुसार 2021 मेंहरिद्वार कुम्भ में एक डिवाइस की मदद से गंदा पानी साफ किया था। महाकुम्भ समाप्त होने के बाद इसी विधि से नालों का पानी साफकिया जा सकता है।