भारतीय संस्कृति की गहराईयों में झांकता नाट्य प्रस्तुति समुद्र मंथन।

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‘समुद्र मंथन’ में दिखा चित्तरंजन त्रिपाठी का निर्देशकीय कौशल

त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट

प्रयागराज।  संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कलाग्राम में आयोजित सांस्कृतिक कुंभ में शनिवार को आसिफ अली द्वारा लिखित नाटक समुद्र मंथन का मंचन चित्तरंजन त्रिपाठी के निर्देशन में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा, नई दिल्ली के रिपर्टरी समूह द्वारा किया गया। नाटक की शुरुआत इस बात से होती है कि हमें आख़िरकार नाटक से क्या मिलेगा? हम अपने जीवन के अन्य ज़रूरी विषयों पर मंथन करने के जगह कला, साहित्य और नाटकों पर मंथन क्यों करें? जिसका उत्तर हमें नाटक के अंत में मिलता है।

नाटक में ऋषि दुर्वासा देवराज इंद्र से नाराज होकर उन्हें हीन और शक्तिहीन होने का श्राप दे देते हैं। इसका का लाभ उठाकर दैत्यराज बलि इंद्र जैसे देवताओं को परास्त कर स्वर्ग के लोगों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लेता है। देवताओं पर दैत्यों की इस विजय के कारण सम्पूर्ण सृष्टि पर दैत्यों और राक्षसी प्रवृत्तियों का आधिपत्य होने लगा।

 

जगतपिता ब्रह्मा जी के आदेश पर इन्द्र सहित सभी देवताओं ने सृष्टि की रक्षा और पुनः सृष्टि की स्थापना के लिए परमपिता परमेश्वर श्री विष्णु से प्रार्थना की।

 

देवताओं की व्यथा सुनकर सृष्टि के पालनहार नारायण ने उन्हें अपने क्षीरसागर को चमच्च करने का आदेश दिया ताकि सृष्टि से लुप्त हो चुके सत्य और सार को पुनः स्थापित किया जा सके, किन्तु इसके लिए न केवल देवताओं की शक्ति बल्कि दैत्यों की शक्ति अर्थात उनकी राक्षसी शक्ति की भी आवश्यकता थी। दैत्यों की प्रवृत्ति को जानकर उन्हें मंथन में प्राप्त रत्नों पर समान अधिकार का प्रलोभन दिया जाता है और नारायण के आदेश पर सभी को सम्मिलित करते हुए अमृत मंथन आरम्भ होता है। निर्देशक चित्तरंजन त्रिपाठी का निर्देशकीय कौशल पूरे नाटक में बार-बार उभर कर आता है।

 

 

 

नाटक में जिन मोहक दृश्यों को सांस्कृकित मंच पर उकेरा गया, वे सभी दृश्य दर्शकों की स्मृति में सदा के लिए जगह बना लेते हैं। मंच-परिकल्पना और बाह्य-संगीत नाटक को और रोमांचक और गतिशील बनाते हैं, जिससे दर्शकों को पलक झपकने तक का समय नहीं मिलता।

 

 

 

वही सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बिहार के कलाकारों ने मिथिलांचल के पारंपरिक नृत्य झिझिया की प्रस्तुति देकर दर्शकों से खूब तालियां बटोरी। उड़ीसा के कलाकारों ने गोटीपुआ नृत्य, गुजरात का राठवा नृत्य, मध्य प्रदेश का बैगा फाग नृत्य, उत्तराखंड का घसियारी नृत्य, महाराष्ट्र का सांगी मुखौटा नृत्य, उत्तराखंड के कलाकारों ने छपेली नृत्य की प्रस्तुति देकर दर्शकों से खूब तालियां बटोरी।

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पर्यटकों को लुभा रही है प्रर्दशनी क्षेत्र- कलाग्राम में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, इलाहाबाद संग्रहालय, राष्ट्रीय अभिलेखागार तथा इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र द्वारा कलाग्राम में महाकुंभ से रिलेटेड पोस्टर, प्रर्दशन तथा कलाकृतियां का एक मनमोहक डिजिटल प्रर्दशनी लगायी गयी है जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है।

AT Samachar
Author: AT Samachar

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