शरत चंद्र के वायलिन की मधुर धुन पर श्रोता हुए भावविभोर
त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कुंभ में रविवार को ताल, लय, और ध्वनि का संगम हुआ। सांस्कृतिक संध्या में कलाग्राम का मंच भारतीय शास्त्रीय संगीत के जाने-माने वायलिन वादक शरत चंद्र के नाम रहा उन्होंने राग यमन, राग भैरवी एवं राग दरबारी की मधुरता को वायलिन के तारों पर इस कदर संजोया कि श्रोता भावविभोर हो उठे। वायलिन से निकलती रागों की मधुर धुनें संगीत प्रेमियों के दिलों में गूंजती रही। अपनी प्रस्तुतियों में उन्होंने ब्राज़ीलियाई बोसा नोवा और भारतीय तालों का सुंदर मिश्रण को पेश कर श्रोताओं को एक अद्वितीय संगीत एहसास कराया।
इसी क्रम में तबला उस्ताद पंडित वी. नरहरी ने तबला वादन के माध्यम से भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध किया, जबकि साथी कलाकारों में पं. अनूप बनर्जी ने पखावज की गहरी ध्वनि से संगीत में शक्ति और धैर्य का संचार किया। तबले और पखावज का संवाद देखकर दर्शक अभिभूत नजर आए। लोकनृत्यों की कड़ी में ओडिशा का घंटा और मृदंग नृत्य, तमिलनाडु का ओलियट्टम नृत्य, राजस्थान का कच्ची घोड़ी नृत्य, त्रिपुरा का मोगनृत्य तथा पंजाब का भांगड़ा की प्रस्तुति देकर दर्शकों से ऊर्जा का संचार किया। कार्यक्रम का संचालन संजय पुरषार्थी ने किया।
कल होने वाली प्रस्तुतियां- नाबाम सोनिल एवं दल द्वारा अरुणाचल प्रदेश का रिख्खमपदा नृत्य, बोरिस दत्ता द्वारा, गुवाहटी का भोरताल नृत्य, गुरु नरेंग गुरूंग एवं दल द्वारा सिक्किम का तमांग शैली नृत्य, पंचाली देवब्रम एवं दल द्वारा त्रिपुरा का लिबांग नृत्य, विजय यादव द्वारा अवध का फरवही नृत्य तथा सिडप्पा बसप्पा द्वारा कर्नाटक का कार्डिम जलू नृत्य, सुनील कुमार द्वारा धोबिया नृत्य और विजय भाई द्वार गुजरात का मेवासी नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी।
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