त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
प्रयागराज। 30 मई 2025 को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर डॉ. सोनिया तिवारी, वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ कमला नेहरू मेमोरियल हॉस्पिटल, प्रयागराज द्वारा इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन कन्वेंशन सेंटर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन ए०एम०ए० वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० ज्योति भूषण की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें डॉ. सोनिया तिवारी ने बताया कि 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है।
डॉ. सोनिया तिवारी ने तबाकू के सेवन से स्वास्थ्य को होने वाले खतरे के संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। विश्व तम्बाकू निषेध दिवस का उद्देश्य जनता को तम्बाकू के हानिकारक प्रभाव के बारे में बत्ताना तथा युवा पीढ़ी को इससे बचाने के बारे में जागरूक करना है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यही है कि आम जनता तंबाकू से होने वाले नुक्सान से दूर रहे और तंबाकू से बने पदार्थों का सेवन न करें। तम्बाकू एक धीमा जहर है जो सेवन करने वाले व्यक्ति को धीरे-धीरे मौत के मुंह में ढकेलता रहता है। सिगरेट, बीडी, हुक्का एवं गुटखा, जर्दा, खैनी आदि नशा करने वाले व्यक्ति को प्रतिदिन मौत के निकट ले जाती है।
डॉ. तिवारी ने कहा, तंबाकू का सेवन कैंसर जैसी कई जानलेवा बीमारियों को जन्म देने में प्रमुख योगदान करता है, जिनमें मुहं, सिर, गर्दन, स्तन, ग्रासनली, कोलन, फेफडे, यकृ त, पेट, आंत, अंडाशय का कैंसर और यहां तक कि कुछ ल्यूकेमिया भी शामिल है। अन्य बीमारियाँ जैसे फेफडों की बीमारियाँ (जैसे सीओपीडी, ट्यूबरक्लोसिस), हृदय, गर्भावस्था संबंधी जटिलताएँ, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, मधुमेह, प्रजनन क्षमता में कमी, समय से पहले बुढ़ापा, दांतों की समस्यायें देखने को मिलता है। यह दुनिया भर में कैंसर से होने वाली 25 प्रतिशत मृत्युदर के लिए जिम्मेदार है. यानी हर साल लगभग 2 मिलियन मौतें होती हैं। विशेष रूप से, फेफड़ों के कैंसर से होने वाली लगभग 85 प्रतिशत मृत्युदर के लिए धूम्रपान जिम्मेदार है, जो एक चिंताजनक और विनाशकारी स्थिति है। तम्बाकू के सेवन से विश्व भर में 80 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु हो जाती है। इनमें से 70 लाख से अधिक मौतें प्रत्यक्ष तम्बाकू सेवन के परिणामस्वरूप हुई है, जबकि धूम्रपान न करने वालों में 12 मिलियन से अधिक लोग सेकेंड हैंड धुए के संपर्क में आ रहे हैं। वहीं भारत में हर 10 में से एक व्यक्ति किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहा है। हर साल लगभग 9 लाख लोग तम्बाकू के सेवन के कारण मरते हैं और लगभग 3.50 लाख लोग इसके द्वितीयक जोखिम के कारण मरते हैं। यह एक स्थापित तथ्य है कि तंबाकू उपयोगकर्ताओं की जीवन प्रत्याशा गैर उपयोगकर्ताओं की तुलना में लगभग 10 वर्ष कम है।
31 मई 2025 को विश्व तंबाकू निषेध दिवस इस वर्ष अनमास्किंग द अपील तम्बाकू और निकोटीन उत्पादों पर उद्योग की रणनीति को उजागर करना थीम पर आधारित होगा। यह युवाओं को तबाकू उद्योग की चालाकी भरी रणनीति से बचाने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देता है, जिसका उद्देश्य धूम्रपान करने वालों और निकोटीन उपयोगकर्ताओं की एक नई पीढी तैयार करना है। यह थीम तम्बाकू और निकोटीन उद्योग की उन वालों पर ध्यान केंद्रित करती है जो युवाओं को आकर्षित करने के लिए इस्तेमाल की जाती है जाइए की आकर्षक स्वाद, आकर्षक पैकेजिंग, चालाकी भरी विपणन तकनीके। कैसे यह उद्योग छल कपट और धोखे के माध्यम से युवाओं को निशाना बनाता है।
आकर्षक स्वाद तम्बाकू उत्पादों की हानिकारक प्रकृति को छिपा देते हैं, निकोटीन उत्पादों को नशे की लत पैदा करने के लिए तैयार किया जाता है, विशेष रूप से स्वाद और आकर्षक डिजाइन के माध्यम से युवा पीढी को हानिकारक तम्बाकू उत्पादों के उपयोग और ग्रामक विज्ञापन प्रथाओं से बचाने के लिए मजबूत नियम बनाने के प्रयासों को संगठित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। डॉ. सोनिया तिवारी ने कहा, वास्तव में तंबाकू के उपयोग के खिलाफ विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमित और गंभीर प्रयासों के कारण तंबाकू के उपयोग में गिरावट आई है, लेकिन यह कमी उम्मीद से कम है। संख्याएँ दर्शाती हैं कि जहाँ तम्बाकू नियंत्रण उपाय खपत पर अंकुश लगाने में प्रभावी हैं, वहीं उन्हें अधिक व्यापक रूप से लागू करने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है। यह देखना बहुत दुखद है कि तंबाकू उद्योग के लक्षित ग्राहक 14 से 20 वर्ष की आयु के युवा है। 14 से 20 वर्ष की आयु के 1.5 मिलियन से अधिक युवा किसी न किसी रूप में तम्बाकू का उपयोग कर रहे हैं। भारत में, 14 से 20 साल के युवाओं में तम्बाकू का उपयोग करने वालों में लड़कों का प्रतिशत अच्छा है और लड़कियों का भी हिस्सा है, जो युवाओं में तम्बाकू की खपत को रोकने में एक बड़ी चुनौती का संकेत देता है।
डॉ. सोनिया तिवारी ने कहा, हम विशेष रूप से युवाओं को आकर्षित करने के लिए डिजाइन किए गए नए उत्पादों जैसे कि ई-सिगरेट, विशेष रूप से सुगंधित उत्पाद, धुआं रहित तंबाकू, स्नस और पाउच के लिए विपणन रणनीतियों पर कड़े नियंत्रण की वकालत करते हैं, जिन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से आक्रामक रूप से प्रचारित किया जाता है। उन्होंने उल्लेख किया कि संपूर्ण चिकित्सा समुदाय भी तंबाकू उत्पादों को कम किफायती बनाने के लिए उन पर कर बढाने का स्वागत करता है। हम युवाओं को द्वितीयक और तृतीयक धुएं और तंबाकू के उपयोग के जोखिम से बचाने के लिए धूम्रपान-मुक्त / प्रतिबंधित क्षेत्र के विकास की पुरजोर अनुशंसा करते हैं। तम्बाकू कंपनियों को युवा लोगों के लिए तम्बाकू उत्पाद बेचने से रोकने के लिए अधिकारियों को सोशल मीडिया को नियमित करने की आवश्यकता है। ये कंपनियां सोशल मीडिया की व्यापक पहुंच का फायदा उठाती हैं, ऐसे प्रभावशाली लोगों को शामिल करती हैं जो अक्सर तंबाकू प्रचार के साथ अपने संबंधों का खुलासा करने में विफल रहते हैं। युवा अक्सर अपना स्टेटस सिंबल, अपनी पश्चिमी शैली को अपनाने की क्षमता दिखाने और खुद को कूल और ग्लैमरस दिखाने के लिए तंबाकू उत्पाद का इस्तेमाल करते हैं।
डॉ. सोनिया तिवारी ने यह भी कहा कि तंबाकू की खेती को भी हतोत्साहित किया जाना चाहिए। इस खेती से जुड़े किसानों को किसी अन्य फसल के लिए शिक्षित और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। हमें उन पीड़ितों पर भी ध्यान देने की जरूरत है जिन्हें पहले से ही तंबाकू खाने की आदत है। पीडितों को पुनर्वास (नशा मुक्ति) क्लीनिक में ले जाना चाहिए। च्यूइंग गम, कैंडीज जैसे उत्पादों को विकसित करने की आवश्यकता है जो तंबाकू उर्फ निकोटीन की लालसा को कम करने में मदद करते हैं। नियमित व्यायाम, योग, मन को भटकाने वाली चीजें जैसे संगीत, फिल्म, परिवार के साथ समय बिताना आदि तंबाकू की खपत को कम करने में बहुत मददगार हो सकते हैं। तंबाकू सेवन की आदत को छोड़ना बहुत मुश्किल है लेकिन इससे छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति के पास दृढ़ इच्छा शक्ति होनी चाहिए। इसके लिए बहुत प्रयास और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। तम्बाकू छोडने के लिए व्यक्ति को तम्बाकू प्रवण स्थानों से दूर रहना होगा। खूब पानी और तरल पदार्थ पिएं, चीनी, कॉफी, वसायुक्त भोजन से दूर रहें। सामान्य दिनचर्या में बदलाव के लिए जिम जाएं और जॉगिंग करें। गहरी साँस लेना, योग, प्राणायाम, ध्यान, संगीत आदि जैसी तनाव कम करने की रणनीतियाँ बहुत मददगार हो सकती हैं।
31 मई 2025 मे विश्व तंबाकू निषेध दिवस के अवसर पर, हम जागरूकता बढ़ाने और नीति निर्माताओं, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और आम जनता / युवाओं के बीच चर्चा को सुविधाजनक बनाने के लिए विभिन्न प्लेटफार्मों पर इन मुद्दों को संबोधित करेंगे। यह भी समझने की आवश्यकता है कि हानि केवल स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, सामाजिक संबंधों को भी मिट्टी वायु जल प्रदूषण की तरह विभिन्न रूपों में प्रभावित करती है। धूम्रपान छोड़ने का सीधा असर स्वास्थ्य, वित्त, भविष्य और पर्यावरण पर पड़ता है। डॉ. सोनिया तिवारी ने अपने सभी सहयोगियों की प्रतिबद्धता के साथ उनका उल्लेख करते हुए कहा, उन सभी को अगली पीढ़ी को तम्बाकू उत्पादों से बचाने और भारतीय युवाओं को इस धीमे जहर का ग्राहक बनाने के लिए उद्योग की आक्रामक रणनीति का मुकाबला करने का दायित्व है। उन्होंने पूरे समाज से इस बुराई के खिलाफ खडे होने की अपील भी की। यदि समाज का हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी निभाए तो हम समाज को इस अत्याचार से मुक्त करा सकते हैं।
अंत में उन्होंने संदेश दिया स्वास्थ्य पैसे की तरह है, आप इसका मूल्य तब तक नहीं जान सकते जब तक कि आपने इसे खो न दिया हो, जीवन प्रकृति का एक अनमोल उपहार है। हमे जीवन को महत्व देना चाहिए। तंबाकू आपको कुछ समय के लिए खुशी और आनंद दे सकता है लेकिन ऐसी किसी आदत से स्वस्थ व्यक्ति को लंबे समय के लिए अच्छा और खुशहाल जीवन नहीं मिल सकता है और वह जीवन के अनुभवों से दूर जा सकता है। जिंदगी बहुत कीमती है इसलिए इसे इतनी छोटी खुशी में बर्बाद मत करो । आइए हम एक साथ खडे हों और इसे स्पष्ट करें – कोई और ट्रिक्स नहीं, कोई और जाल नहीं आइए हम प्रतिज्ञा करते हैं कि केवल 31 मई विश्व तंबाकू निषेध दिवस नहीं होना चाहिए, हर दिन तंबाकू निषेध दिवस होना चाहिए।
प्रेसवार्ता में ए०एम०ए० वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० ज्योती भूषण, डॉ० कमल सिंह, ए०एम०ए० वैज्ञानिक सचिव डॉ अनुभा श्रीवास्तव, ए०एम०ए० पी० आर० ओ० डॉ अनूप चौहान उपस्थित रहे।
