पांच पीढ़ियों से मोहर्रम में सजाते हैं ताजिया, दुर्गा पूजा भी करते हैं
धर्मेंद्र प्रजापति की रिपोर्ट
चंदौली। पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर मुगलसराय दुलहीपुर गांव में पटेल बस्ती का एक हिंदू परिवार पिछली पांच पीढ़ियों से मोहर्रम में ताजिया सजाता आ रहा है। यह परंपरा शिवपाल पटेल से शुरू हुई। उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए दुलदुल के सामने मन्नत मांगी थी। पुत्र प्राप्ति के बाद से वे मोहर्रम में ताजिया सजाने लगे।
इस परिवार का स्वतंत्रता संग्राम से भी विशेष जुड़ाव रहा है। रतन पटेल के दादा रामधारी सिंह पटेल को ब्रिटिश सरकार से बचाने में दरोगा मोहम्मद जाफर ने मदद की थी। उन्होंने रामधारी सिंह को ताजिए के पास छिपाकर उनकी जान बचाई। तभी से यह ताजिया दोनों समुदायों के बीच एकता का प्रतीक बन गया।
मोहर्रम के दौरान पटेल परिवार पूरी श्रद्धा से इमामबाड़ा सजाता है। परिवार की महिलाएं मोमबत्तियां और अगरबत्तियां जलाती हैं। मुस्लिम समुदाय के सैयद परिवार से मौलाना मजलिस पढ़ने आते हैं। पहले सैयद सिब्ते मोहम्मद जाफरी तकरीर करते थे। अब उनके पोते राहिद जाफरी और जाफर मेहंदी इस परंपरा को निभा रहे हैं।
कलावती देवी के अनुसार उन्हें हर साल मोहर्रम का इंतजार रहता है। उनकी बेटियां और रिश्तेदार मन्नतें मांगने आते हैं। मजलिस के समय पटेल परिवार के सदस्य फर्श पर बैठकर तकरीर सुनते हैं और मातम करते हैं। वे प्रसाद भी वितरित करते हैं।
समाज में धार्मिक विभाजन के इस दौर में दुलहीपुर का यह परिवार साबित करता है कि मानवता और आस्था धर्म से ऊपर होती है।
