रंगमंच हर कलाकार के लिए चुनौतीपूर्ण होता है- हिमानी शिवपुरी।

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टी.एन.शर्मा की रिपोर्ट

प्रयागराज। रंगमंच करना हर कलाकार के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है, इसमें कलाकार के अपने से लड़कर बाहर आना पड़ता है, जीवन में कुछ स्थायी नहीं होता है। उक्त बातें सिने स्टार हिमानी शिवपुरी ने विमर्श-5 एक नई पहल में कही। शुक्रवार को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा विमर्श-5 एक नई पहल का आयोजन सांस्कृतिक केंद्र परिसर में किया गया। इस अवसर पर दादा साहेब फाल्के तथा संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से सम्मानित सिने अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी सांस्कृतिक केंद्र पहुंची और अपने जीवन के अनुभव को श्रोताओं के साथ साझा किये। कार्यक्रम के शुभारंभ में कार्यक्रम प्रभारी विनोद शुक्ला ने हिमानी शिवपुरी को पुष्प गुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। मंच पर आते ही श्रोताओं ने तालियों से उनका जोरदार स्वागत किया।

“हप्पू की उल्टन पल्टन” से उनको एक नई पहचान मिली


देहरादून जन्मी हिमानी शिवपुरी सिनेमा जगत के साथ ही रंगमंच क्षेत्र में सक्रिय रहती हैं। टीवी के चर्चित धारावाहिक “हप्पू की उल्टन पल्टन” से उनको एक नई पहचान मिली। उन्होंने “दो पैसे की नौटंकी” अपने कैरियर की शुरूआत की। अंजान का ख्वाब, तुगलक, मित्रों मर जानी, सूर्य की अंतिम किरण, संध्या छाया तथा विद्या सुंदर तथा सिहांसन खाली है जैसे अनेकों नाटकों में किरदार निभाया। उसके बाद थियटर से निकलकर बडे पर्दे पर “कुछ-कुछ होता है”, “मैं प्रेम की दीवानी हूं”, “हम राही”, “हम आपके हैं कौन”, “हम साथ-साथ हैं”, “कभी खुशी कभी गम” जैसे सुप्रसिद्ध फिल्मों में अलग-अलग भूमिका में काम करके कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा, वह बताती हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने में उनके पिता ने हमेशा सपोर्ट किया। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पास आउट होने के बाद वह थियटर ही करना चाहती थी, लेकिन फिल्मों की ओर उनका झुकाव उनके पति के कारण हुआ। आगे कहती हैं कि अपनी पहली फिल्म “अब आएगा मजा” को करते हुए काफी नर्वस थी, लेकिन दर्शकों ने खूब सराहा।

उस समय, मनोरंजन उद्योग में कदम रखना मुश्किल था

श्रोताओं के बीच से पूछे गए प्रश्नों को उन्होंने अपने सरल और सहज शब्दों से जबाव दिया। नितिश ने पूछा कि अभिनय को करियर के रूप में लेना उनके लिए कितना चुनौतीपूर्ण था, तो उन्होंने जवाब दिया, “उस समय, मनोरंजन उद्योग में कदम रखना मुश्किल था, और परिवार में किसी ने भी मेरे करियर के चुनाव को गंभीरता से नहीं लिया था।” 37 साल के करियर और अनगिनत हिट बॉलीवुड फिल्मों का हिस्सा रही अनुभवी अभिनेत्री हिमानी का मानना है कि कुछ भी स्थायी नहीं होता है। फिल्म दिल वाले दुल्हलिया ले जाएंगे पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि फिल्म में राज और सिमरन की कहानी तो अंत में जाकर एक मुकाम तक पहुंचती है, लेकिन मेरी और अनुपम की कहानी का अंत नहीं दिखाया गया। दरअसल, हमारी कहानी को भी एक मुकाम तक पहुंचाना था, लेकिन मैं क्लाइमेक्स की शूटिंग के दौरान सेट पर नहीं थी। अगर ध्यान देंगे, तो क्लाइमेक्स में मैं कहीं नहीं हूं।’ प्रियांशी, शांतनु, रवि आदि ने सवाल पूछे।


सवाल- जबाब और परिचर्चा के दौरान उपस्थित श्रोताओं द्वारा रंगमंच व एक्टिंग से जुड़े कई पहलुओं पर चर्चा किया। कार्यक्रम के अंत में केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा की ओर से आशीष श्रीवास्तव ने समस्त कलानुरागियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर केंद्र के अधिकारी व कर्मचारी सहित काफी संख्या में गणमान्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमितेश ने किया।

AT Samachar
Author: AT Samachar

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